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बुध शनि का सुख

 

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बुध शनि की प्रकृति

बुध व्यापार प्रधान ग्रह है,सूर्य का साथी है,जाति से बनिया है,स्वभाव से राजकुमार है,कार्य से बातूनी है,अधिक मजाक करना इसकी सिफ़्त है,ह्रदय से जिसके साथ चलदे उसी की गाने लगता है,घर में घरानी और बाहर राजरानी वाला भी स्वभाव अपनाता है। बातूनी होना और अपनी बात को सामने रखकर अपनी ही कहते रहना इसका प्राकृतिक स्वभाव है। शनि कर्म का दाता है,प्रकृति से ठंडा और मन से चालाक है,रात का कारक,अन्धेरे का राजा है,नीची बस्तियों मे रहने वाला,नीच की संगति करने वाला,माना जाता है,बुध और शनि के मिल जाने से कार्य के लिये कहा जा सकता है कि वह बातों की खेती करने वाला,बातों की खेती बडे आराम से नहीं की जा सकती है,उसके लिये बुद्धि की जरूरत पडती है,और बुद्धि को देने वाला बुध नहीं होता है,बुद्धि को देने वाला गुरु होता है,अगर किसी प्रकार से गुरु बुध शनि से पीछे बैठा है,तो वह अपने द्वारा बुध शनि को बातों की खेती करने के लिये ज्ञान देने लग जाता है। वह किस प्रकार की बातों की खेती करता है इसका प्रभाव गुरु के बैठने वाले स्थान से जाना जा सकता है,जैसे कर्क का गुरु ऊंची बातों की खेती करेगा,और मकर का गुरु नीची बातें करेगा। इसके साथ ही जो टोपिक बातों के होंगे वे बुध शनि के आगे के भावों के द्वारा देखने को मिलते है,जैसे बुध शनि के आगे अगर सूर्य बैठा है तो बातों की खेती में पिता या पुत्र के प्रति बातें की जायेंगी,लेकिन पिता के प्रति बातें करने के लिये भी सूर्य को देखना पडेगा कि वह किस भाव में है,अक्सर सूर्य बुध के आसपास ही होता है,या तो साथ चलता है अथवा आगे पीछे चलता है,अगर अधिक पास है तो बातों के अन्दर घमंड होता है,और अगर आसपास के भाव में अलग बैठा है तो अहम की मात्रा में उतनी ही कमी होती जाती है। सूर्य से पीछे बैठा है तो बातों में अहम होता है,और सूर्य से आगे बैठा है तो बातों के अन्दर दब्बूपन है। शनि और बुध दोनों ही दोस्त है,कारण बुध का स्वभाव लालकिताब के अनुसार हिजडे के जैसा बताया गया है,हिजडे का अर्थ नपुंसक होने से ही नहीं,मनसा वाचा कर्मणा सभी तरह से व्यक्ति के अन्दर हिजडापन दिखाई देने लगता है। शनि के साथ होने से ठंडी जुबान,जुबान के अन्दर भी चालाकी।