Welcome to Padam Dhiman Website

श्री विश्वकर्मा प्रार्थना

 हे विश्वकर्मा ! परम प्रभु !, इतनी विनय सुन लीजिये ।
 दु:ख दुर्गुणो को दूर कर, सुख सद् गुणों को दीजिये ।।
 ऐसी दया हो आप की, सब जन सुखी सम्पन्न हों ।
 कल्याण कारी गुण सभी में, नित नये उत्पन्न हों ।।
 प्रभु विघ्न आये पास ना, ऐसी कृपा हो आपकी । 
 निशिदिन सदा निर्मय रहें, सतांप हो नहि ताप की ।।
 कल्याण होये विश्व का, अस ज्ञान हमको दीजिये ।
 निशि दिन रहें कर्त्तव्य रल, अस शक्ति हमनें कीजियें ।।
 तुम भक्त – वत्सल ईश हो, `भौवन` तुम्हारा नाम है ।
 सत कोटि कोट्न अहर्निशि, सुचि मन सहित प्रणाम है ।।

श्री विश्वकर्मा प्रार्थना

हो निर्विकार तथा पितुम हो भक्त वत्सल सर्वथा, 
हो तुम निरिहत तथा पी उदभुत सृष्टी रचते हो सढा ।
आकार हीन तथा पितुम साकार सन्तत सिध्द हो,
सर्वेश होकर भी सदातुम प्रेम वस प्रसिध्द हो । 
करता तुही भरता तुही हरता तुही हो शृष्टि के, 
हे ईश बहुत उपकार तुम ने सर्लदा हम पर किये ।
उपकार प्रति उपकार मे क्या दें तुम्हे इसके लिए, 
है क्या हमारा शृष्टि में जो दे तुम्हे इसके लिए । 
जय दीन बन्धु सोक सिधी दैव दैव दया निधे, 
चारो पदार्थ दया निधे फल है तुम्हारे दृष्टि के ।