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यंत्रों के द्वारा परेशानियां दूर करना

 

काल चक्र में तीन प्रकार के उपाय परेशानियों को दूर करने के लिये बताये गये है,पहला मंत्रों के द्वारा और दूसरा तंत्रों के द्वारा और तीसरा यंत्रों के द्वारा,इन सब का सार जो है,वह इस प्रकार से है,कि शरीर भी एक भौतिक यंत्र है,जो बायोकेमिक प्लांट की तरह से चलता है,इसे चलाने के लिये तंत्र की जरूरत उसी प्रकार से होती है,जिस प्रकार से किसी गाडी या मशीन को चलाने के लिये इन्जीनियर की जरूरत पडती है,इन्जीनियर का दूसरा नाम ही तांत्रिक है,जब तक किसी वस्तु को चलाने और प्रयोग करने का तरीका नही आता है,तब तक वह वस्तु उसी प्रकार से बेकार है,जिस प्रकार से किसी गाडी को न चलाना जानना,कितनी ही मंहगीं गाडी लेकर आजाइये,लेकिन अगर आपको ड्राइवरी नही आती है,तो वह गाडी बिलकुल बेकार है,गाडी को चलाना जानना ही गाडी का मंत्र है,और चलाने की क्रिया बताने वाले को ही मांत्रिक कहा जाता है,दिमाग को साधने के लिये और शरीर की विभिन्न प्रकार की गतियों को सुधारने के लिये जिस प्रकार से यांत्रिक किसी वाहन में फ़ेर बदल करता है,और उस फ़ेर बदल के बाद वाहन की गति और भार ढोने की क्षमता में विकास कर देता है,उसी प्रकार से शरीर के लिये सुधारने के लिये तीन बातों का ख्याल रखा जाता है,एक तो किसी वस्तु को दिखाकर उसे दिमाग में स्थापित कर देना,दूसरा किसी वस्तु को सुनाकर उसका असर दिमाग में स्थापित करना,और तीसरा किसी वस्तु के बारे में उसे प्रत्यक्ष रूप से अनुभव करवा कर दिमाग में स्थापित कर देना,आप जिस प्रकार से सिनेमा देखने जाते है,या घर पर बैठ कर टीवी देखते है,निर्माता द्वारा कोई सीन आपके सामने लाया जाता है,जिसके अन्दर भावुकता का अनुभव दिखाकर और सुनाकर करवाया जाता है,तो कोई कितना भी हंसी का महौल हो उस समय आंखों के अन्दर आंसू आ जाते है,इसके साथ ही जब कभी किसी गमगीन माहौल में कोई बैठा हो और उस समय कोई ऐसा द्रश्य सामने कर दिया जाये,जिससे अपने आप ही दिमाग में सोच कर हंसने को बाध्य होना पडे,लेकिन सभी प्रकार के अनुभव केवल टीवी और मीडिया तथा अन्य साधनो से पास में नही रह पाते है,यंत्र को बनाकर या किसी के द्वारा बनवा कर अगर किसी समस्या के लिये धारण किया जाये तो वे काफ़ी फ़ायदा देते है,और किसी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा को शरीर से निकालकर दूर करते है,आइये आपको कुछ यंत्रों के बारे में सविस्तार बताया जाये.


सर्व सिद्धिदाता लक्ष्मी प्रदाता यंत्र

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आपको पन्द्रह के नम्बर के बारे में पता होगा,यह संख्या हमेशा से ऊनी गिनी जाती है,और इस यन्त्र के अन्दर एक से लेकर नौ तक की संख्याओं को इस प्रकार से लिखा जाता है,कि जिधर से भी जोडा जाये,सभी तरफ़ से जोड का योग केवल पन्द्रह ही आता है,चाहे दाहिने से जोडे या बांये से,ऊपर से जोडें या नीचे से किसी तरफ़ से जोडने पर भी योगफ़ल केवल पन्द्रह का ही आता है,यह नवग्रह यन्त्र के रूप में मान्यता रखता है,जैसे एक नम्बर सूर्य का दो नम्बर चन्द्र का तीन नम्बर गुरु का और चार नम्बर प्लूटो का,पांच नम्बर बुध का,छ: नम्बर शुक्र का,सात नम्बर राहु का,आठ नम्बर शनि का और नौ नम्बर मंगल का माना जाता है.इन सब ग्रहों को शुक्र के नम्बर छ: में ही बान्ध कर रखा गया है,जो योगफ़ल पन्दर का आता है,उसे अगर जोडा जाये तो एक और पांच को मिलाकर केवल छ: ही आता है,किसी भी ग्रह को शुक्र के रंग में रंगने का काम यह यन्त्र करता है,और शुक्र ही भौतिक सुख का प्रदाता है,किसी भी संसार की वस्तु को उपलब्ध करवाने के लिये शुक्र की ही जरूरत पडती है,प्रेम की देवी के रूप में भी इसे माना जाता है,और भारतीय ज्योतिष के अनुसार शुक्र ही लक्ष्मी का रूप माना जाता है,इस यन्त्र को कब बनाया जाये,और कब और किस प्रकार से इसका कहां प्रयोग करना है,की जानकारी के लिये आप मेरे ईमेल padam.dhiman786@gmail.com पर लिख सकते है.


आपत्ति दूरीकरण यंत्र

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जीवन के शुरु से लेकर अन्त तक आफ़तों का जाल इस संसार के द्वारा बुना जाता है,कोई भी किसी को किसी प्रकार से भी सुखी नही देख सकता है,साथ काम करने वाला इसलिये जलता है,कि वह आपके बराबर काम नही कर पाता है,घर के पास में रहने वाला केवल इसलिये जलता है,कि आप के द्वारा किसी को गुहारा नही जाता है,और आप अपने अन्दर ही स्वाभिमान से जिन्दा रहना चाहते है,यहां तक कि आपके परिवार वाले भी कभी कभी आप से जलने लगते है,कि आप उनके बराबर पिसते नही है,और आराम से अपना जीवन निकालते है,आपके भाई को भी जलन होती है,आपकी भाभी को भी जलन होती है,और सबसे बडा कारण जब और खतरनाक हो जाता है,जब आपका पुत्र ही आपकी पुत्र वधू के कहने पर आपसे किसी प्रकार की अनबन रखने लगता है,इस यंत्र में सम्मोहन के प्रति लिखावट का फ़ायदा है,इसके अन्दर जो अक्षर लिखे है,वे सब भारतीय वैदिक भाषा के अक्षर है,आपको यह जानकर काफ़ी हर्ष होगा,कि भारत की वैदिक भाषा हिन्दी का हर शब्द किसी न किसी देवता के रूप में पूजा जाता है,और हर अक्षर को सजाकर रूप दिया गया है,जैसे आप छोटे ’अं’ को ही देख लीजिये,इसे अगर सजाया जाये,और आदमी की आकृति दी जावे तो यह भगवान राम का रूप ले लेगी,भगवान विष्णु का रूप ले लेगी,अक्षर ’क्रीं’ को अगर सजाया जाये तो वह महावीर हनुमानजी का रूप ले लेती है,इसी प्रकार से इस यंत्र के अन्दर जो भी अक्षर लिखे हैं वे अपने आप में ही शक्ति का रूप है,इसे धारण करने वाले के प्रति अगर कोई खराब धारणा रखता है,तो उसकी बुरी नजर धारण करने वाले पर नही लगती है,और जो वह काम करता है,या वह जिस प्रकार से भी रहता है,किसी प्रकार का बुरा असर उसपर नही पडता है.इस यंत्र के लिये कि कब और किस प्रकार से धारण करना चाहिये,आप पूंछ सकते है.


बन्धु विद्वेषण यंत्र

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कभी कभी एक ही परिवार किसी कारणवश अपने को अकेला जानकर पीछे पड जाता है,उसके भाई बन्धु,सगे सम्बन्धी,हितू,नातेदार सभी अकेला समझ कर पीछे पड जाते है,और उस समय और भी हालत खराब हो जाती है,जब हमे किसी कारण वश बाहर रहना पडता है,और घर पर केवल बच्चे और परिवार ही रहता हो,तो काम करने में कम और घर की चिन्ता अधिक लगी रहती है,जहां लोग बुरा चाहते है,वहां पर किसी न किसी प्रकार से उनको चांस मिल ही जाता है,और जैसे ही चांस मिला वे किसी न किसी प्रकार घात प्रतिघात कर बैठते है,यह संसार चलती हुई सडक जैसा है,अपने को बचाने में ही फ़ायदा होता है,सामने वाले को जैसे भी जा रहा है,जाने देने में कोई हर्ज नही है,इस यंत्र को धारण करने बाद और घर में स्थापित करने के बाद जो भी समय के साथ अपने फ़ेवर के ग्रह या देवता होते है,वे सशक्त हो जाते है,और किसी न किसी प्रकार से अपनी रक्षा करते रहते है,इसका प्रभाव यह भी देखा गया है,कि सामने दुश्मन अपनी घात लगाकर बैठा रहा,और जिस पर घात की जानी थी,वह सामने से निकल आया,और उस दुश्मन की निगाह उस पर नही पडी,साथ ही घर में स्था्पित करने के बाद जो भी संयुक्त रूप से मिलकर घात करने की सोच रहे थे,वे आपस में ही लड कर दूर हो गये,और उनमे से अधिकतर आकर खुद में मिल गये,उनके द्वारा जो भी क्रिया की जा रही थी,उसे उन्होने आकर खुद ही बता दिया,इस दैविक बल से युक्त यंत्र को अमावस्या के दिन बनाया जाता है,बनाने के लिये जिस सामान की जरूरत पडती है,वह आपके घर पर ही मिल जाता है,विधि को मंगाने के लिये लिखें


भूत त्रासन यंत्र

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अक्सर शाम के समय में या घर के अन्दर आते ही दिमाग भर जाता है,कुछ भी समझ में नही आता है,और जो नही करना होता है,आम आदमी कर बैठता है,किसी प्रकार से जब कोई घर पर आकर किसी प्रकार की घरेलू बात को करता है,तो एक दम से झल्लाहट आती है,और उस समय दिमाग का संतुलन खराब हो जाता है,जिसे डाक्टरी भाषा में पागलपन कहा जाता है,कुछ देर बाद कुछ भी नही होता है,सब कुछ सामान्य सा हो जाता है,दिमागी विकृति को तब माना जा सकता है,जब किसी प्रकार से वह लगातार ही चलता रहे,और जब दिमागी विकृति का कारण बनता है,या दिमाग सेंटर से आउट होता है,तो फ़िर सालों या कभी भी ठीक नही हो पाता है,कभी कभी गर्मी चढने से या शादी देर से होने पर जो हारमोनिक क्रियायें शरीर की बदलतीं हैं,या फ़िर शरीर के अन्दर विशेष प्रकार की हलचल होकर दांत भिंच जाते है,या फ़िर किसी प्रकार का रहन सहन का बदलाव होते ही शरीर की गति बदल जाती है,पढने वालों का दिमाग पढाई में नही लगता है,किताब खोलते ही पता नही कितने विचार आने लगते है,किसी ने जरा सा कुछ कह दिया वही दिमाग में बैठ गया,कितनी ही कोशिश करो दिमाग से निकलता ही नही,भूत का मतलब होता है,बीता हुआ,और जो बीत कर भी दिमाग से नही निक्ल रहा है,उसे ही भूत का प्रकोप कहा जाता है,इसे हटाने के लिये बीज मंत्र ’ह्रीं’ को साध कर प्रकाशित किया जाता है,और किसी सफ़ेद कागज पर केसर से लिख कर चांदी के ताबीज में रख कर पूर्णिमा के दिन धारण किया जाता है,इसे धारण करने के बाद तामसी कारणों को छोडना पडता है,और किसी प्रकार की जानकारी के लिये लिखें.

नर संतान की पैदायश के लिये यंत्र

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अक्सर घर के पूर्वजों का हाथ जब सिर से दूर हो जाता है,या किसी कारणवश दिमाग में इश्क का भूत सवार हो जाता है,तो आदमी पुरुष अपने से अधिक उम्र की लडकी से शादी कर लेता है,और जब अधिक उम्र की महिला साथ होती है,तो उसके अण्डाणु पुरुष के अण्डाणु से मजबूत होते है,और परिणामस्वरूप घर में लडकियों की लाइन लग जाती है,लडकों की पैदाइश के लिये तरसना पडता है,इस यंत्र को धारण करने के बाद,समागम करने का समय अगर समान तिथियों के अन्दर किया जाये,तो सफ़लता निश्चित मिलती है,समान तिथियों का मतलब होता है,कि महिला की माहवारी के समय से चौथा,छठा,आठवां,दसवां,बारहवां दिन,इन दिनो के अन्दर किया गया समागम और इस यंत्र की उपस्थिति शर्तिया पुत्र संतान देती है,इसे हल्दी या केसर से किसी कागज पर बनाकर दोनो पति पत्नी को पहिनना चाहिये,रात को सोते समय स्वर्ण भस्म को दूध के साथ दोनो को पीना चाहिये,पत्नी को चाहिये कि वह समागम के बाद एक दम बाथरूम में नही जावे,आधा घन्टा बाद ही बाथ रूम में जावे,और जोर लगाकर टायलेट नही करे.


गरीबी को हटाने वाला यंत्र

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आदमी अपने परिवार में सभी की तरह से जन्म लेता है,और सभी की तरह से पलता नही है,कोई सोने की चम्मच से भोजन करता है,तो किसी को बचपन से दूध भी नसीब नही होता है,कोई मंहगी गाडियों के अन्दर सैर करता है,तो किसी के पास फ़टी चप्पल नसीब नही होती है,यह सब पिछले जन्म के कर्म का फ़ल माना जाता है,कर्म की रेखा अच्छी हो,लेकिन भाग्य की रेखा खराब हो तो काम करने के बाद भी खाना नही मिलता है,आराम तो बहुत दूर की बात होती है,प्रस्तुत यंत्र की विशेषता है,कि इसे अगर श्रद्धा से धारण किया जावे और लगातार तेतालीस दिन तक कच्ची मिट्टी की एक दिवाल बनाकर शाम को गिराई जावे तो एक दम से दिन घूम सकते है,यह यंत्र सफ़ेद कागज पर पीली केसर या हल्दीसे उसे रंग कर लाल चंदन से इस यंत्र को बनाया जाये,और सुबह को सूर्य निकलते ही धारण किया जावे,तो सफ़लता निश्चित मिलती है.


दुष्टमोहन करण यंत्र

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कारण और निवारण नही बने होते तो सभी कारणों के अन्दर फ़ंस कर खत्म हो गये होते,बच्चा जन्म लेता है,और उसके जन्म लेते ही माता के स्तनों में दूध आजाता है,और बडा होने पर पिता के अन्दर मोह पैदा हो जाता है,और अधिक बडा होने पर परिवार के अन्दर उसके प्रति चाहत पैदा हो जाती है,शादी के बाद पत्नी या पति के अन्दर पारिवारिक मोह जागृत हो जाता है,वृद्ध होने पर बच्चे और पोते पोती मोह के कारण संभालने लगते है,घरों की स्थिति सबकी एक जैसी नही होती है,अक्सर परिवार में एक कोई ऐसा व्यक्ति पैदा हो जाता है,तो किसी प्रकार से परिवार में औकात को नही रखने देता है,जब भी देखो किसी न किसी प्रकार से औकात को गिराने में ही लगा रहता है,परिवार का नही तो रिस्तेदारी का व्यक्ति सामने आजाता है,रिस्तेदारी का नही तो जानपहिचान वाला सामने आजाता है,और कोई नही तो पडौस का ही सामने आजायेगा,इन लोगों के अन्दर होते अक्सर वही है,जो परिवार या घर के अन्दर पहले से मिले रहते है,और अक्समात किसी बात को लेकर दूर हो गये होते है,उनको पता होता है,कि घर में क्या है,और किस हद तक किसी का मुकाबला सामने वाला कर सकता है,इन लोगों की उपाधि महापुरुषों ने दुष्टों की दी है,इन लोगों के कुप्रभाव से बचने के लिये उपरोक्त यंत्र का निर्माण अपने द्वारा किया जा सकता है,शनिवार की रात को जब शनिवार कृष्ण पक्ष का हो,एक लकडी के पाटे पर काले उडद के कुछ दाने रख लिये जावें,और सरसों के तेल का दीपक उस कमरें में जलाकर बाकी की बत्तियां बन्द कर दी जावे,उस दीपक से निकलने वाले कार्बन को किसी चम्मच या किसी लोहे की वस्तु पर जमा कर लिया जावे,उस कार्बन को जरा से सरसों के तेल के साथ मिलाकर किसी लकडी की कलम बनाकर इस यंत्र को लिखा जावे,और बीच में कोप करने वाले व्यक्ति का नाम लिखा जावे.


एकान्तर दिमाग को ठीक करने का यंत्र

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आदमी की पहिचान करना काफ़ी मुश्किल है,पता नही कब और कहां पर धोखा दे जावे,किसी कुत्ते पर तो विश्वास किया जा सकता है,और उसके हाव भाव देखकर पता किया जा सकता है,कि कब काटेगा,मगर आदमी का पता नही होता कि वह कब और कहां पर धोखा देकर हलाक कर देगा,अक्सर कितने ही लोगों में एकान्तर दिमाग होते है,वे आज कुछ कहते है,और कल कुछ कहना चालू कर देते है,उनके अन्दर स्थिरता नामकी कमी होती है,दिमाग में ऊल जलूल बातों के आने के सिवा और कुछ नही होता है,आज तो कह दिया कि अमुक काम कर दिया जायेगा,लेकिन दूसरे ही दिन किसी बात का बहाना बनाया और काम को टाल दिया,आज तो लगता है,कि पति बहुत ठीक है,और कल ही जल्लाद हो गया,आज तो पत्नी बहुत मजे से खाना खिला रही है,और बच्चों प ध्यान रख रही है,कल वह अपना रंग बदल कर कमरे के अन्दर जाकर सो रही है,और बच्चे तो बच्चे किसी की भी फ़िकर नही है,इन एकान्तर दिमागी लोगों के लिये वेदों में एक यंत्र का मिलना काफ़ी समस्याओं से छुटकारा देने वाला साबित हुआ,अथर्वेद के अन्दर से मिला यह काण्डव-संहिता का ब्यौरे से बनाया गया यंत्र काफ़ी लाभकारी साबित हुआ है,इसे आप शरीर की अन्य व्याधियों में भी प्रयोग कर सकते है.पालक या किसी हरी घास के रस से बुधवार के दिन इस यंत्र को सफ़ेद कागज पर बनाया जाता है,और जिसे भी दिया काफ़ी लाभ दिया है.


परीक्षा में सफ़लता देने वाला यंत्र

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सालभर पूरी मेहनत से पढाई की जावे और जब परीक्षा हाल में बैठा जावे,तो आगे पीछे का सब कुछ भूलकर लिखा जाने वाला मैटर और पूंछे जाने वाले सवाल किसी का उत्तर नही दिया जावे,तो रिजल्ट तो वही होगा,जो सभी जानते है,यानी फ़ेल होना,समय भी खराब हुआ,धन भी बेकार हुआ,और साथ वालों के साथ पीछे रह जाने से बदनामी भी मिली,अक्सर ग्रहों के द्वारा जब काफ़ी खोजबीन की गयी तो एक बात का पता चला कि राहु की दशा या अन्तर्दशा में अक्समात सब कुछ खत्म हो जाता है,आदमी की सभी चालाकियां शंका के रहते या तो बिलकुल खत्म हो जाती है,या फ़िर वह सही को गलत और गलत को सही कहने लगता है,आजकल आब्जेक्टिव-टाइप सवाल होने से टिकमार्का लगाते वक्त दिमाग एक दम घूम जाता है,और जो सोच कर लिखना होता है,उसे अक्समात बिना किसी सोच समझ के लिख दिया जाता है,इस यंत्र को धारण करने के बाद अधिकतर मामलों में सफ़लता मिलती देखी गयी है,लाल कागज पर लाल चन्दन से लिख कर इस यंत्र को सौंफ़ और शक्कर के साथ किसी लाल रंग की पालीथीन में रखकर और लाल रंग के कपडे में बान्ध कर या चांदी के ताबीज में भरकर पुरुष अपनी दाहिनी भुजा पर और महिलायें अपनी बायीं भुजा पर बान्ध लें,साथ ही किसी प्रकार अम्ल या गुटका,तम्बाकू,बीडी सिगरेट शराब या कोई नशे की गोली आदि ली जा रही हो तो फ़ौरन उसे त्याग कर हनुमानजी का पाठ या किसी प्रकार से धार्मिक कार्यों में मन लगाना चाहिये,परीक्षा में पास होने या इन्टर्व्यू में सफ़लता के बाद दस गरीबों को भोजन खिलाने से पूरा असर जिन्दगी भर रहता है.

दोस्ती में भरोसा करवाने वाला यंत्र

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दोस्ती तो सबको करनी आती है,और दोस्ती करने के बाद निभानी हर किसी को नही आती है,कितने ही दोस्त काम निकलने के बाद बेवफ़ा हो जाते है,और इसी का नाम बेवफ़ाई से लिया जाता है,दोस्त जब दुश्मन बनते है,तो एक दूसरे के जान के दुशमन बन जाते है,अगर किसी कागज के टुकडे पर यह यंत्र बनाकर अपने पर्स में रख लिया जावे,तो हो सकता है,आपका दिल टुकडों में नही बिखरे,लाल रंग की स्याही से इसे कागज पर बनाकर अपने पर्स में इसे संभाल कर रख लेना चाहिये,और जिसे दोस्त बनाया जाये उसके सामने इसे दिखाकर पैसा आदि निकालने चाहिये,आपका व्यक्तित्व का प्रभाव उस पर हमेशा के लिये प्रभावी हो जायेगा,और जब भी वह तुमसे दूर जायेगा,तो सकुशल विदा लेकर ही जायेगा.


बुखार उतारने का यंत्र

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बुखार भी कई तरह के होते है,कभी शारीरिक बुखार होता है,तो कभी दिमागी बुखार होता है,कभी पैसे का बुखार होता है,तो कभी रिस्तों का बुखार होता है,बुखार का मतलब केवल मलेरिया या टाइफ़ाइड से ही नही लेना चाहिये,सबसे खराब रिस्तों का बुखार होता है,इस बुखार में आदमी को दिन का चैन और रात की नींद नही मिल पाती है,पति को लवेरिया का बुखार आ गया तो मान लीजिये दुनिया के किसी हकीम और डाक्टर की हिम्मत नही है,कि वह उस बुखार को निकाल दे,इस यंत्र को किसी प्लेट में नीबू के रस से बनाकर उस प्लेट में हरी सलाद आदि रख कर किसी भी बुखार से पीडित व्यक्ति को दो चार दिन लगातार खिलाई जावे,तो उसका बुखार जल्दी उतर जायेगा.


विदेश जाने के लिये शक्ति देने वाला यंत्र

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अक्सर लोगों की चाहत जो घर में रहते है,उनकी बाहर घूमने की और जो शहर में घूमते है,उनकी अन्य शहरों मे जाने की और जो देश में घूम चुके होते है,उनकी इच्छा विदेश जाने की होती है,जो लोग अपना कैरियर अपने देश में नही बना पाते है,तो बाहर जाकर अपना कैरियर बनाना चाहते है,विदेश में जाने और विदेशी यात्रायें करवाने के लिये कुन्डली का गुरु जिम्मेदार होता है,जब यह कुन्डली के आठवें भाव या नवें भाव या बारहवें भाव में अपनी अच्छी पोजीसन रखता है,तो जातक को विदेश जाने का अवसर जरूर मिलता है,लेकिन किसी प्रकार से गुरु अगर कुन्डली में किसी अन्य स्थान में विराजमान है,तो विदेश गोचर में गुरु के आने पर कुछ समय के लिये जरूर सम्भव हो जावे,लेकिन कैरियर आदि के लिये सम्भव नही माना जाता है,इस काम के लिये इस यंत्र को किसी बढिया से फ़ोटो पेपर पर जिसका साइज एक फ़ुट लम्बा और एक फ़ुट चौडा हो,बनवा कर अपने कमरें में सोने के स्थान पर ठीक सामने लगा लेना चाहिये,जब भी आंख खुले तो इस यंत्र के दर्शन हो,थोडे से समय में ही विदेश जाने का योग बन जायेगा,लेकिन इसे जहां भी जाना हो साथ लेजाना जरूरी है,और प्रतिदिन दर्शन करना चाहिये.


जनता वशीकरण यंत्र

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आपने अनुभव किया होगा कि आपसे कम जानकारी रखने वाले जनता के अन्दर अपना अच्छा प्रभाव रखते है,इसका मुख्य कारण उनकी सिफ़्त के अन्दर लुभावना व्यक्तित्व ही माना जाता है,वे कुछ भी कहे,उसे बडे प्रेम से सुना जाता है,और कोई उनकी जगह पर अच्छी जानकारी रखने वाला जनता के मन के अन्दर नही चढ पाता है हमने अपने अनुभव और जानकारी से देखा है कि जितने भी नेता और अभिनेता होते है,किसी न किसी प्रकार से किसी तांत्रिक या मांत्रिक से अपना लगाव रखते है,जनता के सामने आते ही वे अपना कुछ न कुछ प्रभाव जनता पर डाल देते है,और जनता उन्हे जी जान से चाहने लगती है,इस यंत्र को आप अपने पास पूर्णिमा के दिन बनाकर धूप दीप और नैवैद्य से पूजा करने के बाद कार्तवीर्यार्जुन के नाम का प्रसाद चढाकर अपने पास साफ़ तरीके से रखें,आप को खुद ही महसूस होने लगेगा कि आप को कितने लोग मन से पसंद करने लगे है,अधिक शक्ति का बनाकर पहिनने के लिये मुझे लिखे.


कर्ज निवारण यंत्र

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जब समय बदलता है,तो अच्छी भली पोजीसन दाव पर लग जाती है,और पोजीसन के दाव पर लगते ही किसी न किसी प्रकार से कर्ज लेना पडता है,कभी दूसरे की बराबरी करने के लिये और कभी अपनी घरेलू आवश्यक्ताओं की पूर्ति के लिये कर्ज लेना पडता है,कुछ नही तो वाहन लेने के समय या घर बनवाने के समय या किसी बेटी बेटे की शादी के समय कर्ज लेना पडता है,कुछ लोग तो अपनी औकात से अधिक का व्यापार या मानसिक रूप से शेयर बाजार आदि के लिये अपना कर्ज बढा लेते है,कई मामलों में देखा गया है कि आदमी के अन्दर जब मांगने वालों की अधिकता हो जाती है,तो वे अपने को बचाने के लिये अमानुषक तरीकों से भी घातक कर लेते है,कई तो आत्महत्या और अपने प्रिय शहर या देश को छोडने से भी नही हिचकते,प्रस्तुत यंत्र को श्रद्धा और विश्वास से एक बाई एक फ़ुट के कागज पर प्रिंट करवा कर और फ़ोटो फ़्रेम करवाकर अपने पूजा वाले स्थान पर लगा लेना चाहिये,जैसे ही कर्ज दूर होता है,मंगलवार के दिन दस गरीबों को भोजन करवा देना चाहिये.


क्रोध निवारण यंत्र

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अधिकतर लोगों को गुस्सा अधिक आता है,और बिना किसी बात के उनका दिमाग चिड चिड करता रहता है,अक्सर यह कारण कमजोरी से होता है,लेकिन जब कमजोरी भी नही हो तो इस यंत्र को सोमवार के दिन किसी भोजपत्र पर अष्टगंध से बनाकर सभी खानों के अन्दर शहद लगाकर किसी ताबीज में पैक करने के बाद अपनी पुरुष अपनी दाहिनी और स्त्री अपनी बायीं भुजा में लाल कपडे में बांधे तो आशातीत सफ़लता मिलती है.


बच्चों की दीर्घायु के लिये यंत्र

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जिनके बच्चे जन्मते ही खत्म हो जाते हों या फ़िर उनको किसी बीमारी या अन्य कारण से अपने बच्चों के प्रति डर हो,तो वे इस यंत्र को भोजपत्र पर बनाकर केसर और अष्टगन्ध से सजाकर अपने बच्चों को गले में ताबीज या सादा सफ़ेद कपडे में बांध कर पहिनाये,कुत्तों को रोजाना खाना डालते रहे,और बिल्ली को कभी भी किसी तरह से परेशान नही करें,कोई भी भिखारी दरवाजे पर आजाये तो बिना भीख के वह जा नही पाये,यह ध्यान रखें,किसी का फ़्री का दिया हुआ खाना और वस्त्र अपने लिये और अपने बच्चों के लिये नही लें


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