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वास्तु के अनुभूत सिद्धान्त भाग 2
वास्तु सिद्धान्तों को समझने के लिये अपने आसपास के रहने वाले लोगों के जीवन को देखना भी जरूरी होता है। जब तक हम दूसरों के जीवन को नही समझेंगे तब तक हम वास्तु को नही समझ पायेंगे। घर को बनाना हर कोई जानता है लेकिन सुखपूर्वक घर के अन्दर रहना हर किसी को नही आता है। घर को तामसी कारणों से बनाना और किसी की प्रतिस्पर्धा मे बनाना भी हानिकारक होता है। अक्सर लोगों के अन्दर एक भाव होता है कि सामने वाले से ऊंचा मकान बनाना है नींव को भरते समय यह भी ध्यान रखना पडता है कि अगर गली में या आसपास बरसात में पानी भरता है तो कहीं अपने घर में नही भर जाये,इस बात को ध्यान में रखकर लोग अपने घर की बुनियाद ऊंची रख लेते है,लेकिन पहले किसी का मकान बन चुका है तो उस मकान को भी ध्यान में रखकर अपनी बुनियाद को रखना भी जरूरी है।
अक्सर देखा जाता है कि हमारे दाहिने या बायें भाग में बसे पडौसी से हम अपने मकान को ऊंचा बनाना चाहते है,हर व्यक्ति के अन्दर एक भावना होती है कि हम जहां भी रहें वहां सबसे ऊंची पोजीशन में रहें। लेकिन कभी कभी ऊंची पोजीसन भी व्यक्ति को नीचे दिखाने के लिये जिम्मेदार हो जाती है। जैसे किसी का नीचा मकान दक्षिण दिशा में बना हुआ है,और आपने अपने मकान को उसकी उत्तर दिशा में ऊंचा बना लिया,तो जब आपके बगल में उत्तर दिशा वाला मकान बनायेगा तो वह भी आपसे ऊंचा बनाने की जरूरत जरूर समझेगा,और फ़िर उसके भी उत्तर दिशा वाला अपने मकान को ऊंचा बनाने की इस प्रकार से उत्तर दिशा लगातार ऊंची होती चली जायेगी,परिणाम जो भी उत्तर दिशा से मिलने वाली पाजिटिव इनर्जी है वह आपके अलावा अन्य को भी नही मिलेगी। अक्सर जमीन खरीद कर मकान वालों में यह आदत देखी जाती है लेकिन सरकारी स्कीमों के अन्दर जो मकान बनते है वे बराबर की पोजीसन से बनते है,उनकी ऊंचाई और चौडाई लगभग समान रूप से ही बनती है,इसलिये अधिकतर मामलों में सरकारी निवासों में रहने वाले लोग एक सी आदत या एक से रहन सहन जैसे मिलते है।
मै गोटन गया था वहां पर एक फ़ैक्टरी ने अपने कर्मचारियों को रहने के लिये आवास की सुविधा दी हुयी है। मकानों का निर्माण एक सा ही करवाया गया है और अधिकतर मकान जो बने है वे पूर्व और पश्चिम दिशा को देखते हुये बने हुये है,उन मकानो में सभी सुविधायें है और उन सुविधाओं के होते हुये भी कितने ही कर्मचारी अपने परिवार की बीमारियों से परेशान है और कितने ही आजीवन कर्जा चुकाने के बाद भी कर्जा नही दे पायेंगे। मैने उस कालोनी के चार परिवारों की स्थति को देखा और लम्बे समय तक उनके रहन सहन और व्यवहार को चैक किया। जो बाते समझ में आयीं वे काफ़ी मनोरंजक जानकारी देने के लिये उपयुक्त पायी गयीं। जैसे जो मकान पश्चिम दिशा की फ़ेसिंग में बनाये गये है उनके अन्दर निर्माण करते वक्त रसोई का निर्माण पहले मकान में वायव्य में बनाया गया है तो दूसरे मकान का नैऋत्य में बनाया गया है। वायव्य की रसोई तो खाने के मदों में और परिवार की शादी समारोहों में कर्जा लेने के लिये जिम्मेदार है और उस परिवार में रिस्तेदार और जान पहिचान वाले भोजन के मदों में धन को खर्च करने वाले मिले वहीं नैऋत्य की रसोई वाले बीमारियों के कारण तरह तरह के आपरेशन इन्फ़ेक्सन आदि से ग्रस्त मिले,उल्टे पूर्व दिशा की तरफ़ फ़ेसिंग वाले मकानों के अन्दर पहले मकान की रसोई अगर ईशान में बनी है तो दूसरे मकान की रसोई अग्नि में बनी है,इस तरीके से पहले मकान वाला तो घर की चिन्ताओं से परेशान मिला तो दूसरा आराम से जीवन को निकालने वाला मिला,यानी चार मकानों में केवल एक ही सही मिला। इसके अलावा एक कारण और मिला कि जिन मकानों में लेट्रिन बाथरूम बनाये गये वे भी अपने अपने अनुसार फ़ल देने वाले मिले।
मकान का निर्माण चार पुरुषार्थों की पूर्ति के लिये करवाया जाता है,जिसके अन्दर धर्म के लिये की जाने वाली पूजा पाठ और इबादत के लिये माना जाता है,घर में जो भी सम्बन्ध होते है उनके अन्दर मां को मां और पिता को पिता माना जाना उनकी इज्जत और मर्यादा का ख्याल रखना आदि माना जाता है,अर्थ नामक पुरुषार्थ की पूर्ति के लिये जो मकान में स्थान बनाया जाता है वह धन को रखने और धन को खर्च करने वाले मामलों के लिये जाना जाता है,तीसरा पुरुषार्थ काम के नाम से जाना जाता है जिनके अन्दर स्त्री पुरुष के सम्बन्ध होने वाली औलाद की सुरक्षा उनके जीवन का निर्माण आदि माना जाता है,और चौथा स्थान जो मुख्य माना जाता है वह मोक्ष से सम्बन्ध रखता है जैसे खाना खाया है तो उसका निस्तारण जरूरी है,शरीर को गंदा किया है तो सफ़ाई जरूरी है,दिन भर काम किया है तो आराम करना भी जरूरी है,धन कमाया है तो उसका खर्चा भी जरूरी है,बच्चों को पैदा किया है तो उनके पढने लिखने का काम और शादी विवाह करने के बाद उनसे भी मुक्ति जरूरी है। इसी के साथ मकान के चार वर्ण भी माने गये है,घर के अन्दर पवित्रता रखना यह ब्राह्मण वर्ण से सम्बन्धित है,घर में रखे सामान के साथ घर के सदस्यों की रक्षा करना यह क्षत्रिय वर्ण की श्रेणी में आता है,घर के सदस्यों के पालन पोषण और उनके लिये सभी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये वैश्य यानी कमाने धमाने की श्रेणी में आता है,इसके बाद साफ़ सफ़ाई करना घर के कचडे को साफ़ करना मल का निस्तारण करना पेशाब करना और उस स्थान को साफ़ करना नहाना धोना कपडे साफ़ करना गंदगी को निस्तारण के काम को शूद्र की श्रेणी में आजाता है। घर में ईशान दिशा में जो भी स्थान बनाया जाता है वह घर के सभी सदस्यों को प्रभावित इसलिये करता है क्योंकि ईशान दिशा में उगने वाले सूर्य की किरणें जमीन से शुरु होती है,यानी धरातल की सतह से चिपकर कर ऊपर की ओर उठती है,यह किरणे ही पाजिटिव इनर्जी देने वाली होती है और घर के अन्दर जो भी भाग इस दिशा में आता है वही भाग घर के लोगों को इन पाजिटिव इनर्जी को लेकर देने वाला होता है,अगर शुद्ध भाग बनाया गया है तो शुद्धता परिवार में प्रसारित होगी और अशुद्ध भाग बनाया गया है तो अशुद्ध भाव घर के लोगों में पाये जायेंगे,इस दिशा में कचडा डालना,झाडू रखना जूते चप्पल रखना लेट्रिन बाथरूम आदि बनाना आदि सभी कारण घर के लोगों को प्रभावित करते है।
ईशान दिशा में उगते सूर्य की किरणे सकारात्मक सोच देती है,सकारात्मकता के अन्दर अगर गंदगी मिलती है तो गंदे विचारों के प्रति सकारात्मक सोच मिलेगी,जैसे माता पिता की सेवा करना सकारात्मक अच्छी सोच है लेकिन इस सोच में गंदगी मिल जाती है तो माता पिता से क्या प्राप्त किया जा सकता है,कैसे प्राप्त किया जा सकता है इसके प्रति सोच शुरु हो जायेगी,जब माता पिता किसी बात को नही मानेगे तो सकारात्मक गंदी सोच में उनके साथ मारपीट और अत्याचार किये जायेंगे,जब वे किसी प्रकार से नही मानेंगे तो उनके पास हो भी साधन धन आदि है वे उनसे जबरदस्ती लिये जायेंगे,इसलिये कहा गया है कि निवास के ईशान में अगर कोई गंदगी है तो बच्चे माता पिता को जूते मारते है। इस गंदगी को अगर किसी धर्म स्थान के ईशान में इकट्ठा किया जाता है तो उस धर्म स्थान में बजाय पूजा पाठ या धार्मिक कामों के चरित्रहीनता का काम अधिक होता है,इसी प्रकार से जिस व्यवसाय स्थान फ़ैक्ट्री आदि के ईशान में अगर कोई गंदगी का स्थान है तो काम करने वाले लोग ही मालिक की बात नही मानते है और किसी न किसी प्रकार का कारण बनाकर मालिक को तन से या धन से या अन्य कारण से परेशान करने के लिये जिम्मेदार माने जाते है। ईशान में गंदगी घर की महिलाओं पर सबसे अधिक असर कारक होती है इसका कारण है कि वे ही सबसे अधिक घर के अन्दर निवास करती है,और इस असर के कारण उनके अन्दर दुश्चरित्रता का भी होना पाया जाता है,उनके विचार हमेशा भटकाव वाले रास्ते की तरफ़ जाते रहते है। इसी प्रकार से सोने वाले कमरे में जूते चप्पल और झाडू आदि ईशान दिशा में रखी गयी है तो सोने वाले व्यक्ति के दिमाग में उत्तेजना और गलत बातें आनी शुरु हो जायेंगी,महिलाओं के अन्दर बुरी भावना भरने लगेंगी। सकारात्मक इनर्जी मिलने के कारण जो भावनायें उनके अन्दर आयेंगी,उन भावनाओं को वे करके भी दिखा देंगी। मुझे याद है कि एक बार जिला मैनपुरी उत्तर प्रदेश के एक गांव उमरैन के गुप्ताजी अपने यहां मुझे लेकर गये थे,वे मुझे एरवा कटरा नामक स्थान पर भी लेकर गये,वहां उन्होने मुझे एक मकान की तरफ़ इशारा करके बताया कि इस घर के लोग कैसे होंगे ? मैने उस घर के बाहर ईशान में लेट्रिन बनी देखी तथा उसी से सटा दरवाजा था,साथ ही उस लेट्रिन के साथ ही कुट्टी काटने की मशीन लगाई गयी थी,एक तख्त दरवाजे के बायें यानी अग्नि दिशा की तरफ़ पडा था। मैने उस घर की स्त्री और पुरुषों को चरित्रहीन बताया,तथा यह भी बताया कि इस घर में जो भी लोग रहते होंगे वे धर्म के नाम पर चरित्रहीनता की तरफ़ जा रहे होंगे,घर के बुजुर्ग को सभी कुछ पता होने के बाद वह कुछ नही कर पा रहा होगा। गुप्ताजी ने मुझे धन्यवाद देते हुये कहा कि यह बात बिलकुल सही है,उस घर के मुखिया को लकवा मार गया है एक लडका है जो किसी महिला को भगाकर लाया है और घर में उस महिला ने चरित्रहीनता को फ़ैला रखा है,उसकी तीन बहिने जो कहने को तो स्कूल में पढाने का काम करती है लेकिन उनके बारे में कहा जाता है कि वे कभी किसी बदमाश के साथ तो कभी किसी बदमाश के साथ देखी जाती है।
मैने कहा है कि घर में चार वर्ण की चार दिशा है,ईशान को ब्राह्मण की दिशा,दक्षिण को क्षत्रिय की दिशा,उत्तर को वैश्य की दिशा और पश्चिम को शूद्र की दिशा कहा जाता है। घर की गंदगी को पश्चिम दिशा में रखना अच्छा उपाय है लेकिन जिनके दरवाजे पश्चिम दिशा में ही है उन्हे दरवाजे से निकलते वक्त बायीं तरफ़ गंदगी का स्थान बना लेना चाहिये,इसके अलावा अन्य दिशाओं की फ़ेसिंग वाले मकान मालिक या व्यवसाय स्थान के मालिक इसी दिशा में दक्षिण पश्चिम दिशा की तरफ़ गंदगी को रखने का स्थान बना सकते है। गंदगी को जिस दिशा या कोण में रखा जायेगा उस दिशा की सकारात्मक इनर्जी गंदगी से पूर्ण होने लगेगी। जैसे वायव्य में गंदगी को रखा गया है तो घर की प्रसिद्धि गंदी होने लगेगी,बनाये जाने वाले उत्पादन को बेचने में केवल इसलिये ही परेशानी आयेगी क्योंकि उस के प्रति लोगों के अन्दर गंदी भावना भरी होगी,उत्तर दिशा में गंदगी होने पर जो भी धन घर में आयेगा वह गंदगी से पूर्ण होगा यानी या तो उसे झूठ बोलकर लाया जा रहा होगा या फ़िर किसी प्रकार की गंदी बातें धन के प्रति की जाती होंगी,दक्षिण दिशा में गंदगी रखने के कारण जो भी घर की सुरक्षा है या जो भी घर में भोजन बनता है उसके अन्दर कोई ना कोई गंदी बात होगी,अथवा जो भी घर के सदस्य है वे किसी ना किसी कारण से खून के इन्फ़ेक्सन से जुडे होंगे या खून की इन्फ़ेक्सन की बीमारियां होंगी। अग्नि कोण में गंदगी होने से घर की महिलायें किसी न किसी प्रकार की प्रसव वाली बीमारियों से जुडी होंगी,नैऋत्य में गंदगी होने से घर की महिलायें किसी न किसी प्रकार की अचानक पैदा होने वाली बीमारी से जुडी होंगी,घर के बीच में गंदगी होने से जो भी घर के सदस्य होंगे वे किसी न किसी प्रकार से गंदे विचार सोचने वाले होंगे और जो भी रिस्तेदारी वाली बातें होंगी वे किसी न किसी कारण से आशंका या भ्रम की बजह से परेशान करने वाली होंगी।
गहों के हिसाब से और सामान्य रूप से समझा जाये तो दिन का स्वामी सूर्य होता है और रात का स्वामी शनि को माना जाता है। सूर्य कर्म करने के लिये ताकत देता है और शनि कर्म करने के बाद थकान को उतारने का कारक होता है शनि सेवा वाले कामों को करता है और सूर्य निर्माण तथा प्रगति के काम करता है। जो लोग रात की नींद पूरी नही कर पाते है वे किसी न किसी बीमारी के कारण शनि के समय यानी बुढापे में भारी कष्ट उठाते है। अक्सर आज के भौतिक युग में लोग रात की पारियों में काम करते है और दिन के अन्दर अपनी नींद निकालने का काम करते है,उन लोगों को जब खून की गर्मी समाप्त होती है तो वे थकान महसूस करने लगते है और उनका शरीर किसी न किसी बीमारी से ग्रस्त हो जाता है। सूर्योदय से पहले शरीर और घर की गंदगी को निकालने का समय होता है,जिससे जो भी सूर्य की सकारात्मक किरणें जमीन की सतह से ऊंची होती हुयी ऊपर की तरफ़ बढे वे शरीर और घर के लिये सकारत्मकता को भर जायें। जो लोग सुबह सूर्योदय से पहले नहा धोकर सूर्य दर्शन का मानस बनाकर चलते है और सूर्य को जल आदि देते है वे घर के अन्दर सबसे अधिक बलशाली और समय पर काम को करने वाले माने जाते है,कहा जाता है कि जो लोग सुबह की सूर्य की किरणें प्राप्त कर लेते है वे दिन में कोई ऐसा काम जरूर करते है जो कोई जीवन में भी पूरा नही कर पाता है,उनके अन्दर अथाह इनर्जी इकट्ठी होती रहती है और वे किसी समय में अपना नाम उसी इनर्जी के सहारे बहुत ऊंचा बना लेते है। घर के अन्दर झाडू बर्तन पौंछा आदि सूर्योदय से पहले हो जाना चाहिये,बच्चे जल्दी जागकर अपने दिनचर्या वाले कामों को पूरा कर लेते है वे जल्दी से अपने को आगे बढा ले जाते है उनके शरीर को कोई बीमारी नही परेशान करती है और वे बिना कुछ अलग से प्रयास किये अधिक से अधिक नम्बरों से पास होते देखे गये है। घर की गंदगी सुबह सूर्योदय से पहले निकालने से रात के अन्दर शनि की गंदगी सुबह की सूर्य की सकारात्मक इनर्जी में नही मिलती है,और घर के अन्दर वातावरण सकारात्मक रहता है।
आप जिस भी धर्म से सम्बन्धित है और आपके जो भी भगवान है अगर आप सूर्योदय के समय भगवान की पूजा आराधना और ध्यान आदि लगा रहे है तो जरूर ही भगवान आपको उचित फ़ल प्रदान करेंगे,जो लोग सुबह जाकर मन्दिर में पूजा करते है उनकी इच्छा जरूर पूरी होती है। मैने इस कारण को खुद अंजवा कर देखा है,मुझे अक्सर बैठे रहने के कारण पेट की बीमारी होने लगी थी,खाना पचता नही था और मै सिर दर्द से परेशान रहा करता था,मैं रामेश्वरम की यात्रा पर गया,वहा सुबह ही मणि दर्शन होते है सुबह सात बजे के बाद मणि दर्शन बन्द कर दिये जाते है उनके दर्शन करने के लिये नहा धोकर सुबह पांच बजे ही तैयार होना पडता है जब कहीं जाकर मंदिर में लाइन लगाकर दर्शन होते है,वहां जाकर मैने सुबह ही नहा धोकर मणि दर्शन करने के लिये चला गया,उनके दर्शन करने के दौरान मैने मणि रूप में भगवान शिव से आराधना की मैं सिर दर्द से बहुत परेशान हूँ,अचानक होता है और इतना होता है कि लगता है कि सिर को फ़ोड डाला जाये,शिवजी ने मेरी सुनी और उस दिन के बाद मेरे सिर में दर्द नही हुआ,लेकिन एक बात और शुरु कर दी थी,कि मैं सुबह सूर्योदय से पहले ही नहा धोकर तैयार होकर पूजा पाठ में लग जाता हूँ चाहे मुझे कितना ही कम्पयूटर पर लिखना पडे।