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बुध (Mercury)

बुध

पीतमाल्याम्बरधर: कर्णिकारसमद्युति:।
खडगचर्मगदापाणि: सिंहस्थो वरदो बुध:॥

बुध एक सौम्य ग्रह है। सूर्य चन्द्र मंगल एवं अन्य ग्रहों की भांति बुध के विषय में भी अनेक पौराणिक आख्यान मिलते हैं।

बुध की उत्पत्ति के संबध में एक रोचक कथा मिलती है। कहा जाता है कि अत्रि पुत्र चंद्रमा देव गुरु बृहस्पति का शिष्य था। विद्या अध्ययन की समाप्ति के पश्चात जब उसने गुरु को दक्षिणा देने चाही तो उन्होने से उससे कहा कि वह दक्षिणा गुरु पत्नी तारा को दे कर आये।

चन्द्रमा जब गुरु पत्नी को अपनी दक्षिणा देने गया तो गुरु पत्नी का रूप देखकर वह तारा पर आशक्त हो गया। और उसे ले जाने की हठ करने लगा,गुरु पत्नी ने उसे खूब समझाया पर वह न माना। जब बृहस्पति को यह बात मालुम हुयी तो उसे शिष्य जान उन्होने भी उसे बहुत समझाया,पर चन्द्रमा ने अपना दुराग्रह नही छोडा। अंतत: वह युद्ध के लिये तत्पर हुया और गुरु को युद्ध में हरा दिया। देवताओं ने भी चन्द्रमा को समझाया,लेकिन वह अपने हठ पर अडा रहा । जब शिवजी को चन्द्रमा के अनाचार का पता चला तो वे क्रोधित हो उठे,और चन्द्रमा को दंड देने के लिये चल पडे। चन्द्रमा फ़िर भी नही माना। उसने नक्षत्रों दैत्यों असुरों के साथ साथ शनिश्चर और मंगल के सहयोग से शिव से युद्ध करने का निर्णय किया। अब घोर युद्ध शुरु हो गया। तीनों लोग भयभीत हो उठे। अंतत: ब्रह्मा ने हस्तक्षेप का निर्णय लिया। इस बार चन्द्रमा झुक गया और उसने गुरु पत्नी तारा को लौटा दिया।

एक वर्ष बाद तारा ने एक कान्तिवान पुत्र को जन्म दिया,उसका पिता चन्द्रमा ही था। चन्द्रमा ने उस पुत्र को ग्रहण किया और उसका नाम बुध रखा गया।

बुध के विषय में और भी अनेक आख्यान मिलते है। विदेशी पौराणिक आख्यानों में बुध के सम्बन्ध में अनेक कथायें मिलती है,यूरोपीय जन इसे मरकरी के नाम से जानते हैं। पारा इसकी धातु है,जो चन्द्रमा के प्रभाव से बहने वाली और शनि मंगल के प्रभाव से ठोस तथा गुरु के प्रभाव से भारी मानी जाती है।

खगोलीय विज्ञान मे बुध

बुध सूर्य के सबसे निकट रहने वाला ग्रह है। उसका व्यास तीन हजार मील है,तथा सूर्य से उसकी मध्यम दूरी तीन करोड साठ लाख मील है। यह सत्ताइस मील प्रति सेकेंड की गति से अट्ठासी दिनो में सूर्य की एक परिक्रमा करता है। पृथ्वी से देखने पर यह सूर्य से सत्ताइस अंश से अधिक दूरी पर नही होता है।

ज्योतिष शास्त्र में बुध

ज्योतिष शास्त्र में बुध को रूपवान मीठा बोलने वाला और स्पष्ट बोलने वाला तथा हरे रंग का बताया गया है। इसे कालपुरुष की वाणी की उपाधि दी गयी है। सभी ग्रहों में बुध को युवराज का पद मिला है। बुध के द्वारा पांडिताई वाले काम वाणी की शक्ति कलाकारी गणित विद्या में चतुरता लिखने आदि का विचार किया जाता है। यह त्वचा प्रधान ग्रह है,बुध के कुंडली में अच्छा होने से जातक की त्वचा अच्छी होती है,और बुध का खराब स्थान में बैठने या किसी पापी ग्रह के द्वारा पापाक्रांत होने जातको को त्वचा वाले रोग होते है।यदि जन्म कुंडली में बुध खराब है तो अपनी दशा अन्तर्दशा में वायु कफ़ पित्त से उत्पन्न तीनो प्रकार के रोग देता है,यह शरीर के तंत्रिका तंत्र यानी नर्वस सिस्टम का अधिकारी है। यदि बुध पीडित होता है तो व्यक्ति के अन्दर की सोचने समझने और महसूस करने की शक्ति कमजोर होती है,जैसे खुशबू बदबू का पता नही चलना,त्वचा का सुन्न हो जाना,चोट लगने या किसी कीडा के काटने का पता नही चलना,त्वचा में कभी कभी काले रंग के चकत्ते पड जाना और अपने आप ही समाप्त हो जाना आदि बाते भी देखने को मिलती है। शरीर में बुध का आधिपत्य छाती और बाजुओं के आगे के भाग का भी मालिक बनाया गया है,जिस जातक की कुण्डली में बुध चन्द्र की युति होती है वह मजाकिया स्वभाव का होता है,अक्सर इस प्रकार के जातक दूसरों को किसी न किसी प्रकार से नुकसान पहुंचाने में अपने आनन्द को बढाना जानते है। बुध के खराब होने पर शुक्र का सहारा लेना पडता है,बुध राहु के दोष से दूर होता है,व्यापार करना इसकी मुख्य पहिचान मानी जाती है,व्यापार में भी उन कामो से जिनके अन्दर बातों से कमाया जाता हो।

जो जातक पूर्व जन्म में न किये जाने वाले कामों को करते है,दूसरों को परेशान करने में जिनको आनन्द आता है,बातों की चालाकी से लोगों को लूटा होता है,बातों को लिखकर कह कर लोगों को परेशान या गुमराह किया होता है,इस प्रकार के जातकों का मुख्य दुख दाम्पत्य जीवन का होता है उनकी शादिया सही समय पर नही होती है,होती भी है तो सम्बन्धों का सुख नही होता है,पति या पत्नी किसी भी प्रकार से सही बात नही करते है घर के अन्दर सभी सदस्य बातों की लडाई में मशूगल हो जाते है,किसने क्या कहा है के प्रति अक्सर बेकार की बहस होती है,पति पत्नी में मनमुटाव कलह और अगर सम्बन्ध बनते भी है तो सम्बन्ध विच्छेद भी करवाने में बुध का बहुत बडा महत्व होता है। बुध अक्सर व्यापार में अपनी गति प्रदान करता है जिन जातकों ने अपने जीवन में अच्छे कर्म किये होते है तो वह व्यापार में काफ़ी बढोत्तरी करता है,और बुरे कर्मों के प्रभाव के कारण चलता हुआ व्यापार अक्समात ही नीचे जाने लगता है और घर के अन्दर भी क्लेश होने के कारण साधनों में कमी होती जाती है। बुद्धिमान होने पर भी कोई बात नही बनती है,और वह अपने चातुर्य को भी बरबाद करता रहता है। अच्छा बुध अच्छा व्यापारी बनाता है,धन और धान्य से पूर्ण करेगा,जीवन पूरा आनन्द में बीतेगा आदि बातें भी समझ में आती हैं। बुधवार बुध का धिन है,पन्ना इसका रत्न है,जिसके धारण करने से यह लाभकारी होता है,पीतल इसकी धातु है,और अन्न में हरी मूंग इसका अनाज है। बुध के नक्षत्रों में अश्लेषा ज्येष्ठा एवं रेवती है,बुध की राशियां मिथुन और कन्या हैं। जिसमे मिथुन सकारात्मक और कन्या नकारात्मक राशि होती है। लेकिन कन्या राशि में यह जातक को मीठी वाणी बोलने वाला और समाज में अपने को मिलाकर चलने वाला माना जाता है,पन्द्रह अंश में यह परम उच्च का होता है और मीन राशि में यह पन्द्रह अंश में परम नीच का होता है।

अंकशास्त्र में बुध

अंक विद्या में पांच का अंक बुध का अंक है। और जिसका जन्म 5,14,23 तारीख में हुआ होता है उसके लिये बुध का प्रभाव जीवन में महत्वपूर्ण माना जाता है। इन अंकों से सम्बन्धित जातक अधिकतर जल्दबाज होते है,किसी भी बात के निर्णय लेने में देरी नही करते है,और अक्सर इनका दिमाग खोजी होता है,इसी कारण से नयी नयी बातों की खोज को करने के बाद यह जल्दी से धन कमाने के प्रति अपना दिमाग चलाते रहते है। इनका दिमाग बडे से बडा व्यापार चलाने में भी नही घबडाता है और उसका मतलब चाहे लाभ से हो या हानि से इन्हे मतलब नही होता है,लेकिन बुध के अच्छे प्रभाव के कारण इनका व्यापार अक्सर सफ़ल ही होता है। अक्सर व्यापार के कामों के तनाव के होने के बाबजूद भी यह अपने काम को आराम से संभाल ले जाते है। बुधवार और शुक्रवार इनके लिये अच्छा दिन होता है,बुध प्रधान जातकों का स्वभाव शर्मीला और लचीला होता है,इन अदाओं के कारण से भी यह अन्य लोगों का दिल जीत लेते हैं। इन जातकों को बुध का रत्न पन्ना पहिनने से भी आराम मिलता है,और गाय को हरी घास खिलाने से भी इनको जल्दी आराम मिलने लगता है,बुध के बीज मंत्रों का जाप भी इनके लिये लाभकारी होता है। बुध की कृपा से जातक के पास अथाह सम्पत्ति आने लगती है और समाज स्थान में आदर्णीय भी हो जाते हैं।

बुध प्रधान व्यक्ति बुद्धिमान होते है इनके लिये संसार के ज्ञान से बढकर और कोई खजाना इनके पास नही होता है,किसी भी कारण को शोध करने के बाद यह पी एच डी जैसी उपाधियां आराम से लेलेते हैं। यह संगीत प्रिय भी होते है,वाकपटुता का प्रभाव इनके पास होता है,शक्तिशाली विचारवान सौन्दर्य के पुजारी भावना प्रधान विद्यावान और बुद्धिजीवी होते है,लिखने की कला इनकी अच्छी होती है और अक्षर बनाने की कला इनके पास अदभुत होती है,हर काम को सोच समझ कर ही करते है,खुला स्थान इन्हे अधिक पसंद होता है,खर्चा करने के अन्दर इस प्रकार के जातक कंजूस भी होते है,बुद्धि प्रधानता वाले काम जैसे ज्योतिष डाक्टरी वकील दलाल व्यापारी लेखक बाबूगीरी वाले काम और अर्थशास्त्र में निपुणता वाले काम इन्हे अच्छे लाते है।

इस अंक वाले जातकों की कुछ कमियां भी होती है,जो उनकी प्रगति में रुकावट पैदा करती है,जैसे आलस आना जल्दी गुस्सा होना अकारण ही गुस्सा करने लग जाना चिन्ता वाली बातें और अपने या पराये व्यक्ति को शक में डालने वाले काम करना,अधिक बातें करना आदि माने जाते है। असफ़लता के विचार से भय होना शक करना आदि भी दुख पैदा करने वाले कारण होते है,बुद्धि का कार्य करते रहने से भी इनका शरीर कमजोर होता जाता है और शरीर के कमजोर होने से फ़ेफ़डे वाले रोग जुकाम लगा रहना टीबी आदि जैसे रोग पैदा हो जाना एलर्जी वाले रोग होते जाना भी माना जाता है। जीवन साथी को अपने अनुरूप बनाने के कारण भी इस अंक के जातकों के लिये दुखदायी होते है,अक्सर इस अंक के जातकों के जीवन साथी चुप ही रहते है और बिना बुद्धि के काम करने के कारण घर और परिवार में अशांति के कारण भी बनते है। खाने पीने और बोलने पर नियंत्रण नही होने के कारण इस अंक के जातक बिना कारण के ही दुश्मनी या बीमारी भी पाल लेते हैं।

कुंडली में बारह भावों में बुध

बारह भावों मे बुध की स्थिति को प्रमुख रूप से समझने के लिये प्रत्येक भाव का बुध का रूप अलग अलग होता है,यहाँ पर जो रूप बुध के प्रदर्शित किये गये है वे केवल बुध की उच्च स्थिति को समझ कर ही किये गये है जरूरी नही है कि आपके बुध का रूप भी इसी तरह से हो,अगर आपकी कुन्डली में बुध पर किसी अन्य ग्रह की बुरी नजर है तो उसका प्रभाव भी बुरा हो सकता है। जैसे राहु का प्रभाव पडने पर अच्छी वाणी होने पर भी आपकी वाणी को ग्रहण लग गया हो,गले में इन्फ़ेक्सन के द्वारा आदि समझना चाहिये।

प्रथम भाव में बुध

पीली आभा लिये चेहरा होता है,लम्बी उम्र का मालिक होता है,गणित और गणना करने वाले विषयों में प्रवीणता होती है,मजाकिया स्वभाव होता है यानी हर बात को मजाकिया लहजे में कहना,धर्म के कार्यों में रुचि होती है।

दूसरे भाव में बुध

अच्छे कार्य करने में रुचि होती है,हिम्मत बहुत होती है,बुद्धि से तेज होता है,मेहनत भी खूब करता है,वकील या नेता जैसे गुण होते है बात की बात में धन होता है,दलाली और शेयर बाजार वाले कामो में रुचि होती है।

तीसरे भाव में बुध

लेखनी का पक्का होता है,कम्पयूटर और इसी प्रकार के यंत्रों को संचालित करने की क्षमता होती है,सोफ़्टवेयर आदि बनाने में निपुणता होती है,चित्रकारी और कविता करने में रुचि होती है,विषयों में आशक्ति होती है,सदगुण भी भरे होते है,मोटा शरीर होता है,गोलमटोल आकृति होती है,बहिने अधिक और भाई कम होते है,पिता का धन बेकार हो जाता है।

चौथे भाव में बुध

भाग्यवान होता है,दान करने में निपुण होता है,दान देने में कुपात्र और सुपात्र को समझने की हिम्मत होती है,लिखने की कला होती है,नीतियों पर चलने का आदी होता है,बुद्धिवान होता है।

पंचम भाव में बुध

जन्म से स्वार्थ जीवन में भरा होता है,अपना काम निकालने में चतुरता होती है,काम निकालने के बाद भूलने की आदत होती है,सन्तान का अभाव होता है,केवल धन की चाहत होती है,जमीनी काम को करने और जमीन आदि के प्रति मानसिकता बनी रहती है।

छठे भाव में बुध

कलेश करना अच्छा लगता है,लेकिन वाणी में मिठास होती है,आलसी शरीर होता है,अभिमान की मात्रा भरी होती है,परिश्रमी और कामुकता का समावेश मिलता है। दूसरों की सेवा करना अच्छा लगता है।

सप्तम भाव में बुध

पति या पत्नी के लिये सुखदायक होता है,कान्तिवान शरीर होता है,तोंद निकल जाती है,सुन्दर और कुलीन प्रकृति होती है,सम्पादन करने की क्षमता होती है,उदार प्रकृति होती है।

अष्टम भाव में बुध

लम्बी उम्र होती है,सुन्दर पत्नी या पति होता है,बात का भरोसा नही होता है,खेती के कार्य में निपुणता होती है,जैसे बागवानी आदि,न्याय करने के अन्दर बेईमानी का समावेश होता है,व्यापार से लाभ केवल दलाली वाले कामों में होता है।

नवम भाव में बुध

बुद्धिमान होता है,तीर्थाटन करने की कामना होती है,अपने समाज में बात रखने वाला होता है कवि गान विद्या में डिग्री या डिप्लोमा होता है,न्याय यात्रा करवाने वाले कार्यों का मानस रहता है। विदेशी लोगों और अंग्रेजी में अच्छा ज्ञान होता है।

दसम भाव में बुध

राज योग का कारण बनता है,अल्पायु होना भी माना जाता है,माता की बहिन से स्वभाव मिलता जुलता है,पिता के प्रति वफ़ादारी नही होती है,खुद के कामों को खुद के प्रयासों से ही खत्म करने की भावना बन जाती है।

ग्यारहवें भाव में बुध

लाभ में अपार सम्पत्ति की कामना होती है पिता की जायदाद मिलती है,छोटे भाई बहिनो से स्नेह होता है,माता के लिये कष्टकारी होता है,शिक्षा और मनोरंजन में अधिक ध्यान रहता है।

बारहवें भाव में बुध

विद्वान धर्मात्मा स्वभाव होता है,किसी भी भाषा को पकडने की क्षमता होती है,दैवीय ज्ञान की जानकारी होती है,समाज में गुणी माना जाता है,शास्त्र का अच्छा ज्ञान होता है आलसी शरीर होता है.

बुध सम्बन्धी अन्य विवरण

बुध ग्रह से सम्बन्धित रोग,उनके शमन हेते धारण करने की विधि ग्रह शान्ति के लिये दान तथा बुध ग्रह से सम्बन्धित व्यापार और नौकरी आदि का विवरण इस प्रकार से है:-

दान

बुध के कुप्रभाव में दिये जाने वाले दान आश्लेषा ज्येष्ठा और रेवती नक्षत्रों में स्वयं के बजन के बराबर हरी मूंग हरे वस्त्र फ़ल हरी मिठाई कांसा पीतल हाथीदांत पन्ना स्वर्ण कपूर शराब षटरस भोजन घी फ़ूल आदि दान में दिये जाते है,दान श्रद्धा पूर्वक दक्षिणा सहित ब्राह्मण को संकल्प पूर्वक बुध ग्रह के नक्षत्र काल में करना चाहिये।

व्यापार

कसीदाकारी सिलाई मशीनो का व्यापार वनस्पति घी का व्यापार कबाड खाने का व्यापार प्राचीन वस्तुओं का संग्रह करने के बाद बेचने का कार्य खेल और खेल आदि के सामान का व्यापार करना ठीक माना जाता है।

नौकरी

मंत्रीपद विधायक पद पुरातत्व विभाग के पद लाइब्रेरी के काम शार्टहेंड टाइपिंग के काम,बेंक के काम एकाउन्टेंसी के काम इन्कम टेक्स की नौकरी डाकतार विभाग में काम ज्योतिष के काम हस्तरेखा और शेयर बाजार के काम करने चाहिये।