गोचर से ग्रहफ़ल
चन्द्र सवा दो दिन,सूर्य एक महिना,मंगल एक महिना लेकिन वक्री और मार्गी होने में अधिक समय,बुध एक महिना लेकिन वक्री और मार्गी होने में कुछ दिन का फ़र्क,गुरु एक साल,शुक्र एक महिना लेकिन वक्री और मार्गी होने में कुछ दिनों का अन्तर,शनि ढाई साल के लिये एक राशि में गोचर करता है। चूंकि चन्द्रमा मन का कारक है इसलिये यह सवा दो दिन से तीन त्रिक स्थानों छ: आठ बारह भावों में होने पर मन को खराब कर देता है,इसलिये एक महिने में सभी ग्रह ठीक भी हों तो चन्द्र्मा के कारण दिमाग में पोने सात दिन के लिये दिमाग खराब होता ही है,किसी न किसी प्रकार दुख अपने आप परेशान करता रहता ही है। अलग अलग ग्रहों के गोचर से फ़ल और शास्त्रों ने वर्णित किये है,उनके गोचर से भावानुसार कैसा फ़ल प्राप्त होता है इसका विवरण नीचे है।
सूर्य का गोचर से भावानुसार फ़ल
- सूर्य जब लगन यानी पहले भाव मे होता है तो आर्थिक व्यय देता है व्यर्थ की परेशानी देता है और और जो भी काम किया जाता है उसके अन्दर कोई ना कोई बाधा जरूर देता है,छाती में दर्द गुस्सा का अधिक आना और जो भी यात्रायें होती है उनके अन्दर सामान्य से अधिक व्यय होता है.
- सूर्य जब दूसरे भाव में होता है तो धन को खराब करता है परिवार में अपने ही लोगों से मनमुटाव अहम के कारण करवा देता है सुख के अन्दर कमी देता है आंखों की बीमारी देता है स्वभाव में जिद्दी पन देता है हर काम के अन्दर जिससे भी सहायता ली जाती है धोखा ही मिलता है.
- सूर्य के तीसरे भाव में होने पर धन का लाभ होता है अकारण और आकस्मिक ही धन की प्राप्ति होती है दूरस्थ स्थानो से शुभ और अनुकूल समाचार प्राप्त होते है,रोग से मुक्ति मिलती है शत्रुओं पर विजय मिलती है मुकद्दमें में लाभ होता है और मन की स्थिति बहुत ही अच्छी होत्ती है।
- सूर्य जब चौथे भाव में होता है तो पति या पत्नी से झगडा होना जरूरी होता है झगडा भी घर के कामो से या फ़िर व्यवसाय के सम्बन्धित कागजों आदि के प्रति होता है,सीने में एक तरह की जलन होती है,मैथुन सुख में कमी होती है शरीर में आलस्य की अधिकता होती है,रोगों की उत्पत्ति होने लगती है किये जाने वाले कार्यों में राजनीति पैदा होने लगती है,और जो भी कार्य सुख के लिये किये जाते है उनके अन्दर किसी न किसी प्रकार की कमी होती है,जैसे सोने की इच्छा है लेकिन कमरे में कोई सजावट या निर्माण का कार्य का चलना आदि.
- सूर्य जब पंचम भाव में होता है तो शत्रु बढने लगते है शरीर अस्वस्थ होने लगता है मन के अन्दर चिन्तायें आने लगती है और मन के किसी भी सोचे गये कार्य के नही होने से दिमाग में टेंसन भी हो जाती है.
- सूर्य जब छठे भाव में होता है तो शत्रुओं पर विजय प्राप्त की जाती है आत्मिक प्रसन्नता होती है स्वास्थ्य उत्तम रहता है.
- सूर्य जब सातवें भाव में होता है तो पेट और गुदा वाली बीमारियां होने लगई है बवसीर की बीमारी पनपने का खतरा होता है,सम्मान की हानि होती है मानसिक खिन्नता होती है चित्त में विकलता होती है व्यर्थ की यात्रायें होती है तथा व्यक्ति को किसी न किसी कारण से अपने ही लोगों के सामने दीनता दिखानी पडती है.
- सूर्य जब आठवें भाव में होता है तो किसी भी किये जाने वाले सेवा कार्य या नौकरी में मतभेद उत्पन्न होने लगते है किसी भी कार्य या आपसी सदस्यों से गलतफ़हमिंया पैदा होने लगती है पत्नी या पति से झगडे होने लगते है रोग या समस्या की वृद्धि होने लगती है.
- सूर्य जब नवें भाव में होता है तो मित्रों संबधियों एवं परिचितों से विग्रह उत्पन्न होने लगता है व्यर्थ की मुशीबतें गले पडने लगती है दीनता को प्रदर्शित करना पडता है उद्योग व्यापार व्यवसाय में असफ़लता मिलती है एक्सीडेंट पेट सम्बन्धी रोग मानसिक परेशानियां मिलती है.
- सूर्य जब दसवें भाव में होता है तो मनोवांछित लाभ और कार्य में सफ़लता मिलने लगती है उत्तम कोट का स्वभाव हो जाता है भावनाओं में बल मिलने लगता है कार्य भी सम्पन्न होने लगते है.
- सूर्य जब ग्यारहवें भाव में होता है तो सम्मान ख्याति आर्थिक लाभ रोग मुक्ति कोई ऊंची सफ़लता एवं मनोनुकूल सिद्धि भी मिलती है,जैसे किसी गूढ विद्या की प्राप्ति और उस विद्या से होने वाले निरंतर लाभ.
- सूर्य जब बारहवें भाव में होता है तो सही कार्यों में सही तरीके से सफ़लता मिलने लगती है,चरित्र की उज्जवलता भी मिलती है शत्रु पीडित होने लगते है मानसिक क्लेश मिलने लगता है.
गोचर से चन्द्रमा :
चन्द्रमा माता मन मकान और पानी का कारक है,यह सवा दो दिन में राशि को बदलता है और जो भी फ़ल कुफ़ल आदि देता है वह राशि बदलने के सवा दो घंटे में देता है.मन का कारक होने से चन्द्रमा नक्षत्रानुसार भी फ़ल देता है यह सवा दो घंटे में एक सौ पचास बार मन को बदलता है.राहु के साथ होने पर यह जीवन भर चिन्ता देने वाला होता है और शनि के साथ होने से कभी अपने मन से काम नही कर पाता है।
गोचर से चन्द्रमा
- चन्द्रमा जब पहले भाव में होता है तो भाग्यानुसार काम करता है जो भी कार्य होते है उनके अन्दर मन की इच्छा के अनुसार फ़ल मिलते है,सुख सुविधाओं की बढोत्तरी हो जाती है और दूर के मित्रों से शुभ समाचार मिलते है अच्छे भोजन के लिये निमंत्रण के लिये भी इस चन्द्रमा का बल मिलता है.
- चन्द्रमा जब दूसरे भाव में होता है तो सम्मान में बाधा आती है निरादर होता है व्यर्थ का नुकसान होता है विवाद और मनस्ताप से बुद्धि खराब होती है,आर्थिक नुकसान तब मिलता है जब बारह आठ या छ: में कोई चन्द्रमा का शत्रु ग्रह बैठा हो.
- चन्द्रमा जब तीसरे भाव में होता है तो मुकद्दमा आदि में विजय भी मिलती है जातक को शान्त मूर्ति के रूप में देखा जाता है और जातक के द्वारा जो भी बात की जाती है वह जनता के हित की जाती है सम्पन्नता की प्राप्ति होती है सुख सुविधाओं की बढोत्तरी होती है,लाभ के लिये आशायें जगती है,कोई छोटी यात्रा भी होती है.
- चन्द्रमा जब चौथे भाव में होता है तो पानी वाली या सामान्य यात्रायें होती है,इसके अलावा दूसरों की मुशीबत को भी अपने गले लगाना पडता है चिन्ता होती है जी भी घबडाता है यात्रा में नुकसान भी होता है कार्य में बाधायें आनी शुरु हो जाती है मानसिक झल्लाहट भी पैदा होती है.
- चन्द्रमा जब पंचम भाव में होता है तो शोक वाली खबरें मिलती है साथ ही व्यर्थ की चिन्ताओं से दिमाग खराब होता है लेकिन आर्थिक लाभ भी होता है बेकार का घूमना भी होता है.
- चन्द्रमा जब छठे भाव में होता है सुख सुविधाओं की वृद्धि होती है गूढ काम करने का भेद मिलता है लेकिन प्लान बनाकर किये जाने वाले कामों के अन्दर सफ़लता नही मिलती है शत्रुओं के भेद जानने की कला मिलती है रोग और खांसी आदि की बीमारियां पैदा होती है.
- चन्द्रमा जब सप्तम भाव में होता है तो काम चिन्ता दिमाग में होती है पुरुष को स्त्री और स्त्री को पुरुष की तरफ़ झुकाव होता है दूसरों को सम्मान देने के कारण बनते है सुख में वृद्धि होती है,साझेदारी में कपट किया जाता है किसी काम को करने के लिये किसी से पूंछने पर वह गलत राय देता है और वह राय अगर मान ली जाये तो वह हानि देने के लिये मानी जाती है.
- चन्द्रमा जब अष्टम भाव में होता है तो अपमान की चिन्ता हो जाती है किसी भी काम को करने के लिये रिस्क ली जा सकती है,और अगर रिस्क किसी गहरे या बहुत ही अन्धेरे वाले कारण के लिये ली जाती है तो जातक के लिये मृत्यु देने का कारण बनती है किसी आसपास या रिस्तेदार की चुगली सुननी पडती है या चुगली करनी पडती है अक्सर चुगली के कारण ही पडौसी या घर के किसी सहायक सदस्य से मनमुटाव भी हो जाता है.
- चन्द्रमा जब नवें भाव में होता है तो इतिहास की तरफ़ दिमाग जाता है घर के पुराने लोगों की बातें होती है कोई विदेशी मेहमान या किसी विदेश मे रहने वाले की चिन्ता दिमाग में होती है बडी यात्रा के लिये सोचा जाता है कोई न्याय वाला काम करने की मन में आती है किसी बडी शिक्षा के प्रति भी दिमाग में बात चलती है.
- चन्द्रमा जब दसवें भाव में होता है तो जातक को अपने कार्यों के प्रति गहन चिन्ता होती है किसी यात्रा के प्रति माता के प्रति मकान के प्रति सोच दिमाग में पैदा होती है कार्यों के करने के बाद लाभ की चिन्ता से दिमाग परेशानी में रहता है पिता और पिता वाले धन की चिन्ता भी मिलती है,बडे भाई के नुकसान या मित्र की परेशानियों में सहायक होना पडता है.
- चन्द्रमा जब ग्यारहवें भाव में होता है तो किसी महिला मित्र के द्वारा छल किया जाता है यह छल किसी इमोसनल बात से किया जाता है घर के लोगों और माता के अपमान या किसी बात से रुष्टता दिमाग को खराब करती है अपने किये गये कार्यों से मिलने वाले फ़लों के प्रति चिन्ता होती है कोई अपना मित्र ही अपने स्थान पर बुलाने की कोशिश में होता है,मनोरंजन या जल्दी से धन कमाने की चिन्ता भी होती है किसी भी विरोधी के प्रति इश्क वाली बात का भी पता चलता है.
- चन्द्रमा जब बारहवें भाव में होता है तो तंत्र मंत्र आदि के बारे में जानने की इच्छा होती है मौत के बाद के जीव्न के प्रति जानने की इच्छा होती है,किसी स्थान की यात्रा में खर्च करना पडता है मौज मस्ती के लिये दिमाग चलता है या किसी अन्य प्रकार से बाहरी मदों के लिये खर्चा किया जाता है माता के धर्म और उनकी धर्म यात्रा के प्रति दिमाग में आती है पिता के परिवार के प्रति चिन्ता होती है,पत्नी या पति की बीमारी से परेशानी आती है.
गोचर से मंगल
- मंगल जब पहले भाव में गोचर करता है तो दिमाग में गुस्सा या सिर में गर्मी रहती है,किसी कही हुयी बात को पूरा करने की कोशिश दिमाग में रहती है असावधानी की बजह से सिर में चोट भी लगती है भाई या भाई जैसे व्यक्ति से किसी बात में माथाफ़ोडी भी होती है अधिक गुस्सा आने से दिमागी परेशानी भी बड जाती है.
- मंगल जब दूसरे भाव में होता है तो धन को जल्दी से प्राप्त करने के लिये कोई रिस्क लेने की दिमाग में सूझती है कोई घर का ही व्यक्ति सामने आकर धन की रुकावट करता है पत्नी को या पति को रतिवाली बीमारी होती है धन को लेने के लिये बैंक या फ़ायनेन्स कम्पनी से बात की जाती है परिवार के प्रति मुखिया जैसा व्यवहार करना पडता है.
- मंगल जब तीसरे भाव में होता है तो गुस्सा और दिमागी गर्मी से आसपास वाले लोग परेशान होते है किसी कारण के बन जाने पर पुलिस या इसी प्रकार की संस्था से सहायता लेनी पडती है अस्पताली काम सामने आते है दाहिनी भुजा या शरीर के दाहिने हिस्से में चोट लगने का खतरा होता है कर्ज अदायगी के लिये किये जाने वाले रोजाना के कामों को कन्ट्रोल में लेना पडता है घर के लोगों के प्रति या पैत्रिक जायदाद के लिये लडाई झगडे की बात भी सामने आती है,किये जाने वाले अधिक गुस्सा या अस्पताली या पुलिस वाले कारणों से बाधित होते है.
- मंगल जब चौथे भाव में होता है तो बात बात में गुस्सा और घर में क्लेश का माहौल पैदा होता है