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व्यवसाय से लाभ
व्यवसाय चार पुरुषार्थों धर्म अर्थ काम और मोक्ष में अर्थ नाम के पुरुषार्थ के अन्तर्गत आता है। व्यवसाय का मुख्य उद्देश्य परिवार का भरण पोषण और आने वाली सन्तति के लिये उन्नति के रास्ते खोलने से होता है। अक्सर वह लोग भी व्यवसाय करते है जिनके बच्चे नही होते है उनका मुख्य उद्देश्य अपने नाम को आगे बढाना होता है और वे अपने परस्वार्थ भाव से दूसरों की सेवा करना चाहते है।
ज्योतिष से व्यवसाय के बारह रूप बताये गये है,पहला व्यवसाय इन्सानी ताकत और उसके शरीर से करवाये जाने वाले कामो के लिये माना जाता है दूसरा व्यवसाय धन और भौतिक सामानो को बेचने खरीदने के लिये माना जाता है तीसरा व्यवसाय संचार और लोगों के सजने संवरने के कारकों से जोडा जाता है चौथा व्यवसाय वाहन घर और प्रापर्टी आदि के खरीदने बेचने और किराये से देने के मामले में माने जाते है,पांचवां व्यवसाय खेल कूद जुआ लाटरी सट्टा मनोरंजन के साधनों और शिक्षा जो प्राइमरी स्कूलों से सम्बन्धित होती है के लिये माना जाता है,छठा व्यवसाय सेवा कार्यों को करवाने से माना जाता है,सातवां व्यवसाय सलाह देने के मामलों में आठवा व्यवसाय अस्पताली कारणो और विदेश यात्रा जोखिम लेने वाले कामो तथा जासूसी आदि के कामो से जुडा होता है नवां व्यवसाय विदेश जाना बैंकिंग करना लोगों को न्याय वाले कामो से फ़ायदा या नुकसान देना धर्म और भाग्य सम्बन्धी व्यवसाय करना माना जाता है दसवां व्यवसाय सरकारी क्षेत्रों में काम करना ठेकेदारी करना आदि माना जाता है ग्यारहवां व्यवसाय कमन्यूकेशन के कामो को करना और मशीन उपकरण आदि को बनाकर बेचना बारहवां व्यवसाय लोगों के लिये आराम करने होटल आदि की व्यवस्था करना और यात्रा वाले कामो को करवाने के लिये माना जाता है।
अक्सर नाम राशि से व्यवसाय का चलना मुख्य माना जाता है जन्म कुंडली से चलने वाले व्यवसाय केवल मनोस्थिति पर निर्भर होते है शरीर की मनोस्थिति आज कुछ होती है और कल कुछ होती है इस प्रकार जन्म कुंडली से किये जाने वाले व्यवसाय कभी भी सफ़ल होते नही देखे गये है,लेकिन नाम राशि से चलने वाले व्यवसाय अधिकतर चलते देखे गये है। व्यवसाय करने के लिये तीन बातें बहुत ही जरूरी होती है एक नाम,दूसरा व्यवसाय करने वाले स्थान से नाम का जुडना और चलना,तीसरा जो मुख्य कारक होता है वह नाम का अंक और उस अंक से मिलने वाले लाभ और हानि.जो नाम जिस व्यवसाय से सम्बन्धित है उन्ही व्यवसायों को करने से फ़ायदा भी होता है और टेंसन भी नही होती है,जिन व्यवसायों से जल्दी धन कमाया जाता है उन्ही व्यवसायों से जल्दी हानि होने का भी कारण पैदा होने लगता है,जो व्यवसाय कालान्तर से चले आ रहे है उनके अन्दर समय की गति अपना प्रभाव देकर बन्द भी करती है,इसलिये एक नाम से चलने वाला व्यवसाय केवल दस साल के लिये अपना सही प्रभाव देता है,वैसे तो कारण से ग्यारह साल बताये गये है लेकिन दस साल के बाद दूसरे नाम से व्यवसाय करने से होने वाली हानि से बचा जा सकता है। यह जीवन आरी के दांतों की तरह से चलता है कभी उठाव आता है तो कभी गिराव आता है समय की हवा के अनुसार चलने पर समय के उतार और चढाव दोनो से ही कमाया जा सकता है। जैसे दस साल अगर माल बेचकर कमाया है तो द्स साल माल की पैकिंग बेच कर भी कमाया जा सकता है। किस राशि को कौन सा व्यवसाय में सफ़लता देने का कारक है इस बात का चिन्तन करते है।
मेष राशि के अन्दर आठ अक्षर प्रयोग में लाये जाते है,चू चे चो ला ,ली लू ले लो अ और ई,इन नामों के अलग अलग नम्बर है और हर नम्बर का अलग अलग ग्रह है,हर ग्रह के अलग अलग स्थान है,और हर स्थान के अलग अलग प्रकृति वाले लोग है,लोगों की प्रकृति के अनुसार व्यवसाय करना दुकान पर भीड बढाने के लिये जाना जाता है और लोगों की प्रकृति के अनुसार व्यवसाय नही करने से केवल नुकसान के अनुसार ही माना जाता है। मेष राशि के अन्दर असर तो मंगल का ही रहता है लेकिन नाम के अनुसार मंगल की प्रकृति बदल जाती है,जैसे चू अक्षर मेष राशि में मंगल के कारक के रूप में माना जायेगा लेकिन मेरी थ्योरी के अनुसार मंगल का असर गुरु शनि शुक्र से जुड जाता है लेकिन संयुक्त रूप जो मंगल से जुडेगा वह सीधा इन तीनो ग्रहों के संयोग से बुध का रूप तैयार हो जायेगा,मंगल और बुध के रूप में हजारों व्यवसाय बन जाते है लेकिन जो व्यवसाय स्थान के लिये अपना प्रभाव प्रकट करेगा वह मंगल से सम्बन्धित स्थान में रहने वाले व्यवसाइयों के द्वारा ही वह व्यवसाय चलेगा। इस नाम से चलने वाले व्यवसायों में व्यक्तिगत कार्यों से अपनी पैठ बनाकर लोगों के प्रति काम करना माना जायेगा,मंगल का स्थान अगर अगर तकनीकी साधनों में है और बुध का स्थान बोलने वाले कारणों से है तो तकनीकी सलाहकार के रूप में काम किया जा सकता है,यह तकनीकी सलाह देने वाली नौकरी के लिये मान्य नही होता है लेकिन खुद के लिये किये जाने वाले व्यवसायों के लिये मान्य होता है,क्योकि नौकरी के लिये शनि का प्रभाव होना जरूरी है,और व्यवसाय में शनि का सहारा केवल स्थान और व्यवसाय स्थान में नौकरी करने वालो से जोडा जाता है खुद को तो मालिक की हैसियत से ही जोडा जायेगा। जो व्यवसाय अलग अलग अक्षरों के अनुसार किये जायेंगे वे इस प्रकार से होंगे:-
मेष राशि शरीर की राशि है इस राशि से जुडे काम शरीर से जुडे कामो से ही जोडे जायेगे,इस नामाक्षर से प्रचलन में जो कारक आते है उनके नामों के लिये मंगल+बुध का असर जरूरी है.यहां स्थान के लिये मंगल को ही प्रयोग में लाया जायेगा,और किये जाने वाले कार्य बुध से सम्बन्धित होंगे.मंगल के तीन स्थान मुख्य है जो शरीर से जुडे होते है,पहला स्थान धर्म स्थान है जहां शरीर को लेजाकर धर्म मय किया जाता है और पूजा पाठ अर्चना आदि की जाती है यानी शरीर की मशीन से धर्म भाव वाले काम किये जाते है,दूसरा स्थान पुलिस का थाना है,जहाँ शरीर के द्वारा किये गये गलत कार्यों की प्रताणना दी जाती है पीटा शरीर को जाता है सोचना दिमाग को पडता है,और इस स्थान का मुख्य कार्य लोगों के अन्दर डर पैदा करने से माना जाता है,तीसरा स्थान मंगल के लिये अस्पताल माना जाता है इस स्थान पर शरीर के अन्दर की कमियों को पूरा किया जाता है शरीर को मानसिक अवस्था के अनुसार गलत खाने पीने से जो शरीर के अन्दर बीमारियां और प्रभाव आते है उन्हे ठीक किया जाता है साथ ही दिमाग के एकत्रित नही होने से जो दुर्घटनायें होती है गलत स्थान पर रहने के कारण या गलत लोगों के बीच में रहकर जो कार्य शरीर से मन की अवस्था से करवाये जाते है उनके द्वारा उत्पन्न दोषों को दूर किया जाता है। इन तीनो कार्यों के अन्दर बुध के समावेशित करने पर व्यवसाय के रूप में धर्म स्थान के पास बुध यानी कमन्यूकेशन का काम करना ठीक होता है,बुध अगर लगन का है तो शरीर में प्रयोग किये जाने वाले धार्मिक वस्तुओं का व्यवसाय किया जाता है जैसे धर्म स्थान पर फ़ूल माला बेचना,धर्म स्थान पर शरीर में पहिने जाने वाले और प्रयोग में लाये जाने वाले प्लास्टिक के सामानों का व्यवसाय करना,तकनीकी रूप से उस धर्म स्थान के प्रति गाने बजाने के सामानों को बेचना,बुध अगर धन से सम्बन्धित है तो धर्म स्थान के पास रहकर आगे की धर्म यात्राओं को जोडने वाले काम करना बुध अगर पानी से सम्बन्धित है तो धर्म स्थान से पानी को ले जाने वाले और पानी को सुरक्षित रखने वाले बर्तनों का व्यवसाय करना,आदि कारक सोचकर काम करना चाहिये,इसके बाद पुलिस वाले काम भी पुलिस वाले स्थानों पर करने चाहिये जैसे पुलिस थानों के पास में बुध यानी कानून के काम करना,कानूनी कामों से लोगों की सहायता करना कानूनी लोगों से सम्बन्ध रखकर जो लोग अपनी सहायता करवाने के लिये इच्छुक है उनकी सहायता करना पुलिस और अधिकारियों से जान पहिचान करने के बाद उनसे सम्बन्धित कार्यों को करवाना आदि काम जाने जाते है। तीसरा स्थान अस्पताली क्षेत्रों से जुडा होता है अक्सर बुध से सम्बन्धित काम अस्पतालों में प्लास्टिक के सामान बेचना जैसे लेट्रिन बाथरूम करने के पात्र बेचना सिरिन्ज और प्लास्टिक के आर्गन बेचना आदि काम भी माने जाते है,मेष राशि का पहला अक्षर "चू" का प्रयोग चूल्हा से भी सम्बन्धित है चूना से भी सम्बन्धित है चूहा से भी सम्बन्धित है और इसी प्रकार के शब्द जो इस अक्षर से शुरु होते है उनके अन्दर चूल्हा चूना आदि भी आते है चूल्हा भोजन पकाने के काम आता है और गर्म होता है तो चूना पानी में डालते ही गर्म होता है,चूहा जहां पैदा हो जायें वहा मंगल की तरह से ही अपने कार्यों को करने के बाद वस्तुओं को बरबाद करना माना जाता है।
इस अक्षर से शुरु होने वाले कामो के अन्दर भी स्थान मंगल का ही होगा लेकिन व्यवसाय का रूप बदल जायेगा,इस अक्षर का नम्बर चार है और इस नम्बर से जुडा ग्रह केतु है,मंगल और केतु को लालकिताब में तो शेर और कुत्ते के रूप में माना जाता है,लेकिन व्यवसाय के लिये इस अक्षर का प्रयोग वहीं पर किया जायेगा जहां शरीर की मंगल के क्षेत्रों में जरूरत पडती है। केतु को सहायता के रूप में जाना जाता है और अगर केतु वाले काम मंगल के लिये किये जायें तो धर्म स्थानों में सहायता वाले कामो को किया जा सकता है जैसे किसी धार्मिक स्थल का साज संवार रखने का ठेका लेना,आने वाले यात्रियों के लिये गाइडिंग का कार्य करना,धर्म स्थान के किसी समारोह में व्यक्तिगत हिस्सा लेकर उसे सजाने संवारने वाले काम करना,इन्जीनियरिंग के सामानों को बनाना बेचना जैसे रिंच पाना पेचकस प्लास आदि को बेचने का काम करना हार्डवेयर का काम करना,बिजली के कामों को करना उनके स्विच साकेट बोर्ड तार आदि को बेचना रसोई के सामानों को बेचना रसोई के सामानों में हेंडल आदि लगाने के काम आदि करना माना जाता है। अक्षर "चे" का प्रयोग हिन्दी शब्दों में चेतन चेचक चेला चेन आदि के रूप में किया जाता है।