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चौबीस गुण
मानव शरीर जब पृथ्वी पर अवतरित होता है तो प्रकृति चौबीस गुणों के साथ उसे विभूषित करने के बाद सजा संवार कर रखती है,कुछ गुण तो जन्म से ही होते हैं,और कुछ संसार में रह्कर उसके पास समय से आते जाते रहते हैं। िन चौबीस गुणों के नाम इस प्रकार से हैं।
१.रूप, २.रस, ३.गंध,
४.स्पर्श, ५,संख्या, ६.परिमाण,
७.पृथक्त्व (अलगाव) ८.संयोग, ९.विभाग,
१०.परत्व, ११.अपरत्व, १२।गुरुत्व,
१३.द्रवत्व, १४.स्नेह, १५.शब्द,
१६.बुद्धि, १७.सुख, १८.दुख,
१९.इच्छा, २०.द्वेष, २१.प्रयत्न,
२२.धर्म, २३.अधर्म, २४।संस्कार.
इन गुणों के आधार पर ही मनुष्य विशेष की व्याख्या की जाती है,जब भी कोई बात किसी के प्रति चलती है,तो केवल यही कहा जाता है कि या तो वह बिलकुल बेवकूफ़ है,या कहा जाता है,कि वह सर्व गुण सम्पन्न है।कितने ही लोग इन गुणों को ही भाव समझ कर अपनी अपनी व्याख्या करते है,और ज्योतिष जैसे ग्रंथ को पढने के बाद लोग जब किसी के गुण दोष का विवेचन करते हैं,तो वहाँ पर ज्ञात होता है,कि सामने वाले व्यक्ति के अन्दर कितना क्या है.