Welcome to Padam Dhiman Website

अम्बे !

जननी तृप्त होतीं लख लाल-मुख लाली को,अम्बे ! तुम्हें कैसे प्रिय रक्त रक्तधारा है?
मेधा-स्वरूपा सब मानवों में रहतीं तुम ही,मदिरा ग्राम्यधर्मादि कैसे तुम्हे प्यारा है?
हरती हो सदा से दुष्ट दानवों के प्राणों को,बकरों के प्राण लेना काम क्या तुम्हारा है?
मै तो सोचता हँ मति-मन्द विषयाशक्तो का,शाकम्भरि! यहाँ बुद्धि विभ्रम हमारा है!
कैसा वैपरीत्य हम होते भी शाक्त,सर्वथा नि:शक्त आज भारत में हो गये ।
वे कीर्ति श्री वाक स्मृति मेधा धृति क्षमा प्रभृति,सारे के सारे गुण हमारे आज खो गये॥
अब भी कृपाण क्या चलाते उन छागों पर,जब कि प्रचण्ड शत्रु चारों ओर हो गये।
चण्डिके ! जगादो आज अपने प्रिअय पुत्रों को,उषाकाल में जो अलसाकर हैं सो गये ॥

देवी में देवरूप
कृष्ण मूर्ति काली और तारा राममूर्ति जान,
छिन्ना नरसिंह मूर्ति बेदन बखानी है।
वामन भुवनेशी और बगला को कूर्म रूप,
मत्स्यमूर्ति जान धूमा शास्त्रन में गानी  है॥
जामदग्न्य सुन्दरी और भैरवी हली को जान,
बौद्ध रूप लक्ष्मी प्रसिद्ध बात मानी है।
दुर्गा शान्ति रूप ही सों दस अवतार भये,
ताप त्रय दूर करैं आदि महारानी है॥

द्वार खोल मैया !
अलक्ष्यपुर भवानी,द्वार खोल मैया॥
माहुर लक्ष्मी द्वार खोल मैया॥
कोल्हापुर लक्ष्मी द्वार खोल मैया॥
तुलजापुर लक्ष्मी द्वार खोल मैया॥
तैलंगणा लक्ष्मी द्वार खोल मैया॥
कान्नाड लक्ष्मी द्वार खोल मैया॥
पाताल लक्ष्मी द्वार खोल मैया॥
पंढरपुर लक्ष्मी द्वार खोल मैया॥
द्वार खोल मैया,द्वार खोल,द्वार खोल॥

अलकैं
देतीं निज भक्तन को सुख शान्ति धन धाम,
शम्भु पे सवाव पेढि बन्द किये पलकैं।
रोष की जरत ज्वाल लोचन विशाल लाल,
भाल पर स्वेत बिन्दु मोतिन से झलकैं॥
रूप देखि दरकत दम्भिन के दिल दुष्ट,
दानव पछाडतीं समर में उछल कैं।
खप्पर खडग हाथ मुण्डन की माल उर,
रण चण्डिका की रक्त रंग भरी अलकैं॥