Welcome to Padam Dhiman Website

नाडी से कन्या राशि

नाडी ज्योतिष से कन्या राशि का रूप बहुत ही स्पष्ट बताया जाता है। कन्या राशि का स्वामी बुध होता है और बुध का आस्तित्व केवल संचार वाली बातों में और बातों के व्यापार से माना जाता है। एक तरफ़ बुध अपनी पहिचान बनाता है और दूसरी तरफ़ अपने द्वारा कमन्यूकेशन के कारण दूसरे स्थानों का पता भी लगाता है,लेकिन कमन्यूकेशन के कारण उसे दूत की संज्ञा भी दी जाती है,सूर्य के अधिक पास रहने के कारण उसकी पहिचान राजकीय परिवेश को समझने करने की भी मिलती है। बुध की राशि में जो ग्रह अपने अपने अनुसार अपना कार्य करते है उनके अनुसार जो भी ग्रह इस राशि में आता है वही सेवा भाव के अन्दर समा जाता है,इस राशि का जातक सेवा वाले कार्यों में कर्जा दुश्मनी बीमारी वाली बातों में अधिक मन लगाने वाला होता है। सबसे अधिक बुध के प्रभाव को समझने के लिये इस राशि के कारकों का भेद भी समझना जरूरी है। कालपुरुष के अनुसार यह छठा भाव है,और जो बातें इस भाव से आज के युग में समझी जा सकती है उनके अनुसार भेद इस प्रकार से हैं:-

कन्या राशि में सुरा नाडी को अधिक मान्यता दी जाती है,इस नाडी का स्वभाव किसी भी बात को बैलेंस में बैठाने के लिये दो बार कहने की आदत होती है,किसी भी बात को करने के समय दिमागी रूप व्यापारिक पद्धति से देखा जाता है। किसी व्यक्ति को देखने के बाद उसकी प्रसंसा किसी भी जातक के रूप और चेहरे की बनावट के अनुसार करने की आदत होती है। इस नाडी से सम्बन्धित व्यक्ति अपने ही कारणों से या तो अपने जीवन अधिक दबा रहता है या फ़िर किसी न किसी कारण से अलगाव वाली बात को अपनाता रहता है। दोहरा बोलना और दोहरी चाल चलना इस नाडी वाले की आदत होती है। अधिक तर मामलों में इस नाडी वाले जातक की शादी एक स्थान से टूटकर दूसरे स्थान पर होती है,अगर नीच का सूर्य इस नाडी के सामने है तो उसे अपने पिता से सहारा लेने की आदत होती है। इस नाडी वाले जातक का पिता दो भाई होता है और बडे भाई की मृत्यु जातक की शादी के समय में होती है। जातक केपिता के बडे भाई के कई संतान होती है,उनके अन्दर जुडवा संतान भी होती है। दादा के कारणों से पिता की औकात बढती है और पिता के बडे भाई के पुत्र अपने समर्थ नही होने तक जातक के पिता के साथ ही रहते है,जातक की ताई काफ़ी बातूनी होती है। जातक का नाम चन्द्रमा के दिनों (तिथि) के नाम से होता है। सुरा नाडी की अभिव्यक्ति काफ़ी रसीली होती है,जातक के पास हमेशा किसी न किसी प्रकार के बोलने का बल होता है,वह अपने माहौल में तो खुश रहता है और जैसे ही अपने रहने वाले माहौल को बदलता है वैसे ही उसके कष्ट के दिन शुरु हो जाते है। जातक के पहला पुत्र ही होता है,लेकिन अगर पहले कन्या पैदा हो जाती है तो जातक का जीवन साथी एक विवाह करके छोड चुका होता है,या विवाह के समय उसके साथ कोई हादसा होता है। सुरा नाडी के अन्तर्गत जातक या जातिका की कोई बहिन नही होती है,उसकी माँ लक्ष्मी का अवतार होती है और पिता का नाम किसी भगवान के नाम से जुडा होता है और दो शब्दीय नाम होता है। माता का स्वभाव शंकालु होता है और वह पिता पर कडी नजर रखने वाली होती है पिता के सम्बन्ध जवानी के समय में अन्य स्थान पर होने के कारण भी उसके मन में डर भरा होता है। जातक की माता की बडी बहिन किसी प्रकार के शिक्षा के व्यवसाय से जुडी होती है,और उसके घर में भी उसके पति के साथ किसी न किसी बात का परिवारिक मतभेद चला करता है। अक्सर जातक की बडी मौसी होती है और जातक की माता बीच की होती है तथा जातक के मामा की मानसिक स्थिति सही नही होती है। जातक का मामा भी जातक की माता के साथ रहने और कार्य करने के लिये हमेशा तैयार रहता है लेकिन मामी की आदत अधिक चालाक होने के कारण मामा को दिमागी रूप से विक्षिप्त सा रहना पडता है वह जैसे ही किसी बडे काम की तरफ़ जाता है तभी जातक की मामी उसे कहीं न कहीं से दबाने की कोशिश करती है।


सुरा नाडी के लिये जो तीन बातें सामने आती है उसके अन्दर जातक के जीवन साथी का वर्चस्व घर में छोटे भाई या छोटी बहिन के रूप में होता है,वह अपने अनुसार चलने वाला और घर के अन्दर क्लेश करने वाला होता है। अगर नाडी के अनुसार बारहवें भाव में शुक्र मंगल का साथ होता है तो जातक का विवाह किसी शिव स्थान के पास होता है,इसी कारण से जातक के द्वारा अधिक श्रद्धा भाव नही होने से जातक का वैवाहिक जीवन कष्टमय होता है,जब भी राहु की दशा लगती है तो जातक का दिमाग भ्रम में रहता है और वह अपने बारे में अधिकतर गलत बातें ही सोचता रहता है,जीवन साथी के पिता की मृत्यु के बाद उसके सभी सहारे समाप्त होते जाते है और उसे स्थान का बदलाव भी करना होता है। स्थान बदलाव करने के बाद भी उसे एक स्थान पर उसके जीवन साथी के कारण नही रहने दिया जाता है।


दूसरी बात जो सबसे मुख्य होती है उसकी कुंडली में अगर बुध का साथ शनि के साथ है तो वह कानूनी कार्यवाही के रूप में भी माना जाता है या तो जातक के जीवन साथी का लगाव कानूनी कारणों के अन्दर होता है या जातक के जीवन साथी के बडे भाई का कानूनी अफ़सर होना और कानूनी कामों को करने का माना जाता है। बुध का रूप कन्या राशि के जातक के लिये कर्जा दुश्मनी बीमारी वाले कारणों के लिये भी माना जाता है। पिता से ग्यारहवां शुक्र मंगल भी तथा सिंह राशि का मंगल भी जातक के लिये परेशानी का कारक होता है अधिक अहम के कारण और अधिक बहम के कारण जातक का कभी कभी आत्महत्या करने का भी मन करता है।


बुध शनि के साथ होने से जातक के पास भूमि और भवन की कमी नही रहती है,उसे अपने घर से अधिक फ़ायदा होता है,उसके पास एक भाई या तो आंखों की बीमारी से जैसे मोतियाबिन्दु या काले पानी की बीमारी से ग्रसित होता है या फ़िर मंदबुद्धि होता है। उसके पैरों में या तो चलने में लचक होती है या फ़िर वह जानबूझ कर अपने रसिक स्वभाव के कारण लचक कर चलता है। जातक के छोटे भाई के पास अचल सम्पत्ति का बहुलता होती है और जातक की माता की देवी भक्ति जातक के परिवार के ऊपर आने वाले आसमानी संकटों से बचाव होता रहता है। इस प्रकार की अन्य बातें भी अक्सर जातक के जीवन में देखी जाती है।